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बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

नोबेल पाने वाले भारतीयों के नाम

सिर्फ अहिंसा की बदौलत भारत को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी को कभी शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। हालांकि उन्हें पांच बार नामांकन मिला। अब तक चार ही भारतीय नोबेल पा सकेंगे।

हालांकि दो बार गांधी जी के नाम का चयन किया गया लेकिन हर बार चयन समितियों ने अलग-अलग कारण बताकर उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया। चयन समितियों ने गांधी जी को नोबेल न मिलने के कई कारण बताए जैसे कि वह अत्याधिक भारतीय राष्ट्रवादी थे। लेकिन कई ऐसे भारतीय हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


रबीन्द्रनाथ टैगोर- टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था। वह एक कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। रवींद्रनाथ ठाकुर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे। उन्हें उनकी कविताओं की पुस्तक गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। टैगोर ने अनेक प्रेमगीत भी लिखे हैं। गीतांजलि और साधना उनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं। 1901 में उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो बाद में विश्वभारती विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

चंद्रशेखर वेंकटरमन- भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले वाले पहले भारतीय डॉ। चंद्रशेखर वेंकटरमन थे। उन्हें 1930 में यह सम्मान मिला। रमन का जन्म तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली के पास तिरुवाइक्कावल में हुआ था।

उन्होंने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की। बाद में वह कोलकाता विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर बने। वेंकटरमन ने प्रकाश पर गहन अध्ययन किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने एक आविष्कार किया जो विज्ञान जगत में 'रमन-किरण' के नाम से जाना जाता है। इसी खोज के लिए उन्हें 1930 में विश्व का सबसे बड़ा पुरस्कार नोबेल पुरस्कार मिला।

हरगोबिंद खुराना- हरगोबिंद खुराना को चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। भारतीय मूल के डॉ। खुराना का जन्म पंजाब में रायपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। 1960 में वह विस्कॉसिन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बने। उन्होंने अपनी खोज से आनुवांशिक कोड की व्याख्या की और प्रोटीन संश्लेषण में इसकी भूमिका का पता लगाया।

मदर टेरेसा- मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मदर टेरेसा का जन्म अल्बानिया में हुआ था। 1928 में वह आयरलैंड की संस्था सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल हुईं और मिशनरी बनकर 1929 में कोलकाता आ गईं। उन्होंने बेसहारा और बेघर लोगों की खूब मदद की। गरीब और बीमार लोगों की सेवा के लिए उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी नाम की संस्था बनाई और कुष्ठ रोगियों, नशीले पदार्थों की लत के शिकार बने लोगों और दीन-दुखियों के लिए निर्मल हृदय नाम की संस्था बनाई। यह संस्था उनकी गतिविधियों का केंद्र बनी।

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर- 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ। सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर भौतिक शास्त्री थे। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी।वी। रमन के भतीजे थे। बाद में चंद्रशेखर अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।

अमर्त्य सेन- अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन पहले एशियाई हैं। शांतिनिकेतन में जन्मे इस विद्वान अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक किताबें लिखी हैं। उन्होंने गरीबी और भुखमरी जैसे विषयों पर काफी गंभीरता से लिखा है। उन्होंने 1974 में बांग्लादेश में पड़े अकाल पर भी लिखा है।

वी एस नायपॉल- त्रिनिदाद में जन्मे भारतीय मूल के लेखक वी.एस. नायपॉल को 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया।

वेंकटरमण रामकृष्णन- भारतीय मूल के अमेरिकी विज्ञानी वेंकटरमण रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में साल 2009 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस ए। स्टेट्ज और इस्राएल की अदा ई। योनथ के साथ संयुक्त रूप से दिया गया। इन वैज्ञानिकों को राइबोसोम की संरचना और कार्यप्रणाली पर अध्ययन के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया। रामकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के चिदंबरम जिले में 1952 में हुआ था।

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