देश की आशा हिंदी भाषा

फ़ॉलोअर

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

गैजेट से घिरा युवा

प्रकृति की गोद में बिताए उन खुशनुमा पलों को याद कीजिए, जब आपने किसी खूबसूरत नदी, झरने या हरियाली को बहुत करीब से देखा हो। गैजेट के जाल में उलझे रहने के कारण खूबसूरत प्राकृतिक नजारों की अब हमारे पास स्मृति शेष है। यदि हम आज के दौर की बात करें तो नवीन टेक्नोलॉजी के रूप में हम दिन-ब-दिन प्रगति के नए सोपानों पर चढ़ते जा रहे हैं, पर इसी विकास की दौड़ में हम प्रकृति के साथ ही मेल-मिलाप की गर्मजोशी से सजे स्नेहिल रिश्तों से दूर होते जा रहे हैं। 'जनरेशन जी' की अगुवाई करने वाले युवा के लिए अब मशीनें चाहत से कहीं अधिक उसकी जिंदगी का अनिवार्य अंग बन चुकी हैं। छोटी से बड़ी कोई भी समस्या आने पर इंटरनेट पर प्रकट होने वाले गूगल देवता उसकी हर समस्या को एक क्लिक पर हल कर देते हैं।


सुबह जागने के लिए मोबाइल की अलार्म, पल-पल की अपडेट के लिए एसएमएस, सफर में टाइमपास के लिए आईपॉड व वीडियोगेम, डाटा सेव करने के लिए पेन ड्राइव, यादगार पलों को सहेजने के लिए कैमरा, दफ्तर के काम के लिए कम्प्यूटर और घूमते-फिरते वीडियोचेट, मूवी और अन्य कार्यों के लिए लैपटॉप आदि मशीनों ने तो जैसे हमारी लाइफ स्टाइल को बदल ही दिया है। इसके बाद दोस्तों से जुड़े रहने की रही-सही कसर फेसबुक, टि्‌वटर, ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्‌स ने पूरी कर दी है। इसके माध्यम से हम इंटरनेट के रूप में फिर मशीन के किसी न किसी तार से जुड़ ही जाते हैं।

सेलिब्रिटीज का गैजेट प्रेम
गैजेट को लेकर बॉलीवुड के सितारे भी बड़े क्रेजी हैं। हर सितारे का अपना कोई न कोई ऐसा पसंदीदा गैजेट है, जिसे वे अक्सर अपने पास रखना पसंद करते हैं। यदि हम प्रियंका चौपड़ा की ही बात करें तो कैमरों की शौकीन प्रियंका के पास फिलहाल 14 कैमरे हैं। प्रियंका के कैमरों की लंबी फेहरिस्त में निकॉन डी-90 भी शामिल है। ब्लैकबेरी प्ले बुक के शौकीन सलमान खान फुरसत के पल मिलते ही अपनी प्ले बुक के साथ व्यस्त हो जाते हैं। वीडियोगेम के शौकीन रणबीर कपूर अपने दिन के कई घंटे एक्स बॉक्स, पीएस 3 और निटेंडो वाई के साथ बिताते हैं। दीपिका पादुकोण और लारा दत्ता का ऑई पैड के प्रति लगाव जगजाहिर है। इन दोनों अभिनेत्रियों को अक्सर अपने ऑई पैड के साथ म्यूजिक और मूवी का लुत्फ उठाते देखा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि अभिषेक बधान ऑई पैड का इस्तेमाल तब से कर रहे हैं, जब वह इंडिया में लाँच ही नहीं हुआ था। उस वक्त उनकी बहन श्वेता नंदा ने उन्हें पहला ऑई पैड गिफ्ट किया था।

मोबाइल से हर काम आसान
गैजेट को अपनी जरूरत मानने वाली शिखा जैन के अनुसार गैजेट ने जिंदगी को बड़ा ही आसान बना दिया है। हर वक्त हमारे पास कॉपी, पैन नहीं होता है। ऐसे में मोबाइल नोट्‌स लिखने के लिए पेपर का काम करता है, वहीं दिमागी काम के लिए फोन मेमोरी में जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि विशेष तारीखों को सेव कर लिया जाता है। 16 साल की उम्र से मोबाइल व 14 साल की उम्र से कम्प्यूटर का उपयोग करने वाली शिखा के पास अब मोबाइल, लैपटॉप, आईपॉड आदि लेटेस्ट गैजेट्‌स हैं।

इसके लिए इंटरनेट, एसएमएस आदि सुविधाओं के लिए वह प्रतिमाह लगभग ढाई से तीन हजार रुपए खर्च करती है। दिन-रात गैजेट से घिरी रहने वाली शिखा इस बात को भी स्वीकारती है कि गैजेट ने उन्हें प्रकृति से दूर कर दिया है। शिखा को याद नहीं है कि उसने आखरी बार कब सूर्योदय व सूर्यास्त को देखा था। अब तो मोबाइल पर ही टाइम देखकर वह जागती और सोती है।


70% जरूरत, 30% शौक
आज के युग में गैजेट के बगैर हमारा जीवन ही नहीं चल सकता है। 12वीं की पढ़ाई और परिवार की सख्ती के चलते मुझे कुछ घंटे ही मोबाइल पर बात करने की अनुमति मिलती है, लेकिन उन कुछ घंटों में सोशल नेटवर्किंग साइट और एसएमएस के जरिए मैं अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से संपर्क साध ही लेता हूँ। ऐसा कहने वाले अंशुल मारू जब 10वीं कक्षा में थे, तभी से मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं। गैजेट पर निर्भरता को 70 प्रतिशत अपनी जरूरत व 30 प्रतिशत शौक मानने वाले अंशुल के अनुसार गैजेट का उपयोग अब समय की माँग भी है।

इंटरनेट है लाजवाब
दोस्तों व परिवारजनों से दूर रहने पर सोशल नेटवर्किंग साइट ही आपका एक ऐसा सहारा होती है, जो आपको अपने स्नेहीजनों से जोड़े रखती है। 16 साल की उम्र से मोबाइल का उपयोग करने वाली तेजस्वी जुनेजा के पास गैजेट में पीएसपी, आईपॉड, मोबाइल, लैपटाप आदि सब कुछ है। मोबाइल व इंटरनेट पर प्रतिमाह लगभग 1000 रुपए खर्च करने वाली तेजस्वी यह मानती है कि दोस्तों से मेल-जोल को बढ़ाने के लिए इंटरनेट एक बेहतर माध्यम है।

गैजेट का स्वास्थ्य पर प्रभाव
लगातार टीवी, लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल, वीडियोगेम आदि के संपर्क में रहने से आपको कई शारीरिक व मानसिक बीमारियाँ हो सकती हैं। मोबाइल, हैंड्‌स फ्री व म्यूजिक सिस्टम पर अधिक समय तक गाने सुनने व मोबाइल पर कई घंटों तक बतियाने से आपकी श्रवण शक्ति प्रभावित होती है। मोबाइल का जरूरत से अधिक प्रयोग जहाँ रेडियो फ्रिक्वेंसी के रूप में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को न्योता देता है, वहीं कम्प्यूटर व लैपटॉप पर कई घंटों तक काम करते रहने से आपको सरवाइकल, कमर दर्द, आँखों में कमजोरी, सिरदर्द, अनिद्रा, इनफर्टिलिटी जैसी गंभीर समस्याएँ भी पैदा हो सकती हैं।

आँकड़ों पर यकीन करें तो
उपभोक्ता - भारत में लगभग 85.17 करोड़ मोबाइल कनेक्शंस हैं।
संभावना- जिनकी संख्या वर्ष 2013 तक 1.159 अरब तक पहुँचने की संभावनाएँ जताई जा रही है।
इंटरनेट यूजर्स- 40 करोड़ भारतीय इंटरनेट यूजर्स मोबाइल फोन से गूगल तक पहुँचते हैं।
इंटरनेट मोबाइल पर - अकेले भारत में 70 प्रतिशत भारतीय युवा मोबाइल पर इंटरनेट का प्रयोग करते हैं।
डाउनलोडिंग - जिसमें 30 करोड़ एप्स प्रति सप्ताह डाउनलोड की जाती है।
बैंकिंग में - भारत में इंटरनेट बैंकिंग करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में पिछले 18 माह में लगभग 200 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है।
ग्रामीण क्षेत्र - 2008 से 2010 के बीच भारत के गाँवों में इंटरनेट का प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 33 लाख से बढकर 54 लाख हो गई है।

कोई टिप्पणी नहीं: