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शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

दुनिया को दिशा देने वाली तीन महिलाओं की कहानी...

इस वर्ष नोबेल का शांति का पुरस्कार संयुक्त रूप से तीन महिलाओं के नाम रहा। इनमें लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉन्सन सरलीफ, अफ्रीकी सामाजिक कार्यकर्ता लेमाह जीबोवी और यमन की तवाक्कुल करमान शामिल हैं। इन तीनों को यह पुरस्कार महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के लिए उनके अहिंसक संघर्ष के लिए दिया जाएगा। आइए जानते हैं कि क्यों मिला इन महिलाओं को नोबेल शांति पुरस्कार..


अफ्रीका की पहली निर्वाचित महिला राष्ट्रपति


एलेन जॉन्सन सरलीफ अफ्रीका की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पहली महिला राष्ट्रपति हैं। 2006 में लाइबेरिया का राष्ट्रपति बनने के बाद से उन्होंने यहां शांति स्थापना और महिलाओं की स्थिति मजबूत करने में योगदान दिया है। इस महीने होने वाले चुनावों में वे पुन: राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। हालांकि उन पर चुनावों में सरकारी पैसे के दुरुपयोग का आरोप है।

लाइबेरिया में महिलाओं को किया एकजुट


लेमाह जीबोवी ने लाइबेरिया में लंबे समय से जारी युद्ध के अंत के लिए सभी जाति एवं धर्म की महिलाओं को एकजुट किया। पश्चिम अफ्रीका में युद्ध के दौरान और बाद में उन्होंने महिलाओं का प्रभाव बढ़ाने के लिए काम किया। 2009 में उन्हें करेज अवार्ड भी दिया गया।

यमन में सालेह को किया सत्ता से बाहर


32 वर्षीय तवाक्कुल करमान ने यमन में लोकतंत्र एवं शांति स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई। इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के कारण जनवरी में यमन के राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह को सत्ता छोड़नी पड़ी। उन्होंने यहां पर महिला अधिकारों के लिए हुए संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाई। करमान पेशे से पत्रकार हैं और इसलाह पार्टी की सदस्य हैं। उनके पिता सालेह की सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

तब तक लोकतंत्र नहीं


पुरस्कार देने वाली समिति की विज्ञप्ति में कहा गया है, जब तक महिलाओं को पुरुषों की तरह समाज के हर स्तर पर विकास में समान अवसर नहीं मिल जाता, तब तक हम दुनिया में सही मायने में लोकतंत्र एवं शांति नहीं हासिल कर सकते। 

लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉन्सन सरलीफ
 

सामाजिक कार्यकर्ता लेमाह जीबोवी
 

यमन की तवाक्कुल करमान
 

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