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सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

मोबाइल के दुष्प्रभावों का अध्ययन

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कई वैज्ञानि‍क अध्ययनों से यह नि‍ष्कर्ष नि‍काला गया है कि‍ मोबाइल फोन तथा अन्य कॉडलेस टेलीफोनों के इस्तेमाल से दिमाग पर जैविक प्रभाव पड़ता है। एक ताजा अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। अध्ययन में बच्चों तथा किशारों को इन फोनों का इस्तेमाल करने के दौरान सतर्कता बरतने का सुझाव दिया गया है।

स्वीडन के ओरेब्रो विश्वविद्यालय द्वारा बच्चों तथा किशोरों में वायरलेस टेलीफोन के दुष्प्रभावों का अध्ययन किया गया। इसमें यह जांच की गई कि क्या किशारों को फोन के इस्तेमाल से किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या आती है।

चिकित्सा शोधकर्ता फ्रेडरिक साडरक्विस्ट ने बालिगों या बड़ों के खून की भी जांच की है, जिससे यह पता चल सके कि बच्चों और किशोरों के दिमाग पर वायरलेस फोन के इस्तेमाल का क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है। साडरक्विस्ट ने कहा कि बड़ों की तुलना में बच्चे वायरलेस फोन की तरंगों को लेकर ज्यादा संवेदनशील होते हैं। वह स्वीडन विश्वविद्यालय में अपने शोध को पेश करेंगे।

अध्ययन में वायरलेस टेलीफोन और खून में प्रोटीन ट्रांसथायरेटिन की मात्रा बढ़ने को एक साथ जोड़कर देखा गया है। साडरक्विस्ट ने कहा है कि यह बढ़ोतरी ज्यादा चिंता की बात नहीं है, लेकिन चूंकि इससे दिमाग पर पड़ने वाले असर का पता चला है, तो कहा जा सकता है कि यह हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

इनका रखें ध्‍यान -

1. जहा तक हो सकते छोटे बच्‍चों के हाथ में मोबाइल नहीं देना चाहि‍ए।

2. यदि‍ बच्‍चे को मोबाइल देना जरूरी ही हो जाए तो उसे कभी हाईटेक और उच्‍च तकनीक वाला मोबाइल ना दें।

3. मोबाइल फोन के रेडि‍एशन से बच्‍चों को ज्‍यादा नुकसान होता है क्‍योंकि‍ बच्‍चे इसके प्रति‍ बड़ो की अपेक्षा अधि‍क संवेदनशील होते हैं।

4. मोबाइल फोन बच्‍चों में मेमोरी लॉस और एल्‍जाइमर्स जैसी बीमारि‍यों की संभावना को बढ़ाता है।

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