देश की आशा हिंदी भाषा

फ़ॉलोअर

सोमवार, 26 सितंबर 2011

कहीं खो गई कॉमिक्स की दुनिया...

कभी हर घर में बच्चों का साथी बनने वाली कामिक्स किताबों की जगह अब टीवी कार्टूनों और वीडियो गेम ने ले ली है और उनके लाइव एक्शन के सामने कॉमिक्स किरदारों के चित्र और संवाद कहीं पीछे छूट गए हैं। 
 
पापुलर हो चुके कंप्यूटर गेम्स और धीरे-धीरे मध्यमवर्ग के बच्चों के बीच पैठ जमाते वीडियो गेम पार्लर ने भी कॉमिक्स की दुनिया का जादू कम कर दिया है।
दिल्ली प्रेस के विश्व बुक्स की निर्देशक मुदित मोहिनी ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि कॉमिक्स किताबों की ब्रिकी कम हो गई है। 

यह आज भी बिकते हैं। हां, इनकी लोकप्रियता में कमी आई है। मां-बाप आज कहानी कहने और सीखने की शिक्षा के माध्यम के रूप में अपने बच्चों को कॉमिक्स किताबें उपलब्ध कराते हैं।
आजकल कॉमिक्स किताबें बच्चों की पढ़ाई का हिस्सा बन गई हैं। कॉमिक्स किताबों की घटती लोकप्रियता का कारण टेलीविजन पर आ रहे कार्टून शो भी हैं। 
 
बच्चों का ज्यादा समय आज टीवी पर कार्टून शो देखने में गुजरता है। इस बारे में मुदित ने कहा, 'टेलीविजन के कार्टून किरदार बहुत अच्छे से तैयार किए जाते हैं। इन पर गहन शोध किया जाता है और इनकी जमकर मार्केटिंग भी की जाती है। इसी वजह से कार्टून आज इतने लोकप्रिय हैं।
इसकी तुलना में कॉमिक्स उचित निवेश, शोध और मार्केटिंग के अभाव में पीछे छूट गए हैं।’ उन्होंने कहा, 'कॉमिक्स किताबों का भविष्य उज्ज्वल है। इनका कहानी कहने का अलग अंदाज और चित्रों और रंगों का मेल इन्हें सबसे अलग करता है। 
यदि हम अपनी ताकतों पर पूरा ध्यान दें, सही मार्केटिंग और निवेश को बढ़ावा दिया जाए तो कॉमिक्स किताबों की लोकप्रियता बढ़ सकती है।

1 टिप्पणी:

sumeet bhardwaj ने कहा…

बिलकुल सही कहा लेकिन हम अपनी मातरभाषा हिंदी को उसका सही स्थान दिला कर ही रहेंगे जय हिंद जय भारत जय हिंदी