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शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

मौन भाषा प्यार की......


प्यार को शब्दों की जंजीर में नहीं बांधा जा सकता। यह तो वह पंछी है, जो चंचल मन-सा पल में जमीं और पल में आसमां चूमने लगता है। सच तो यह है कि प्यार एक एहसास है, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। इसे देखा जा सकता है, आंखों से आंखों में। प्यार की भाषा मौन होती है।
पेड़ के ऊपर की फुनगी पर एक चिड़िया बैठी थी। तभी कहीं दूर से एक दूसरी चिड़िया आई और पेड़ की एक शाख पर बैठ गई। फुनगी पर बैठी चिड़िया झट से फुदककर नीचे वाली चिड़िया के पास आई। दोनों ने पास-पास सरककर, चोंच से चोंच मिलाकर जाने क्या बात की और अगले ही पल दोनों साथ-साथ दूर उड़ चलीं।

दो अपरिचित, अनजान पंछी मौन की जिस भाषा में बात कर हमराही बने, वह थी प्यार की भाषा। प्यार की अबोली बोली के जादू ने दो दिलों के बीच की दूरी को खत्म कर दिया।

यह प्यार क्या है जो दुनिया के तमाम रिश्तों को नाजुक बंधन में बांधे रखता है?

दरअसल प्यार कुदरत का अनमोल तोहफा है। यह ऐसी दौलत है जो हर किसी के पास अथाह होने के बाद भी हर कोई अतृप्त रहता है, प्यार तलाशता रहता है। जीव-जगत के छोटे-बड़े सभी प्राणियों के पास प्यार का अथाह सागर है। फिर भी हर कोई हर किसी से प्यार पाना चाहता है। पोता, दादा से प्यार चाहता है, भाई, बहन से प्यार चाहता है, पड़ोसी पड़ोसी से प्यार चाहता है, छात्र शिक्षक से प्यार चाहता है, जानवर अपने मालिक से प्यार चाहता है यानी हम अपने से संबंधित हर जीव से प्यार की आस रखते हैं।
प्यार देने वाला प्यार के बदले भी प्यार ही चाहता है। प्यार का रिश्ता इस हाथ ले, उस हाथ दे वाला होता है। यदि प्यार एकतरफा हो तो वह रिश्तों को अटूट बंधन में नहीं बांध सकता।

प्यार यादगार होता है। क्षणिक किया हुआ प्यार भी जिंदगी भर की अमानत बन जाता है। और यदि सालों साल किया गया हो तो फिर बात ही क्या! प्यार दिल की गहराइयों से किया जाता है। इसलिए इसे भुला पाना संभव नहीं होता।
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प्यार लेना और देना दोनों ही बहुत आसान भी है और बहुत मुश्किल भी। किसी को प्यार देने में कुछ खर्च नहीं होता। बस जरूरत होती है इच्छा की, भावनाओं की, लगाव की। यदि आपकी चाहत है तो चाहे जितना बांटो, लुटाओ यह दौलत खत्म न होगी।

प्यार दीवानगी है। जब प्यार का नशा चढ़ता है तो फिर कोई दूसरी बात नहीं सूझती। इस दीवानगी के कारण ही लोग प्यार में दिलोजान तक देने को तैयार रहते हैं।

प्यार कब, कहां, कैसे, किससे हो जाए, कहा नहीं जा सकता। यह भी कहा जाता है कि 'प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है।' जरूरी नहीं कि प्यार सुंदर व्यक्ति या वस्तु से हो। बस, मन में प्यार की घंटी बजनी चाहिए फिर तो 'दिल लगा मेंढकी से, तो वह भी परी लगती है।'

प्यार भले ही तौलकर न किया जाए, फिर भी अंतरतम से प्यार किसी एक को ही सबसे अधिक किया जाता है। उस एक को प्यार देने के चक्कर में दूसरों पर प्यार कम भी हो जाता है। प्यार अनंत होने के बावजूद हम एक ही सबसे प्यारे पर प्यार लुटाना चाहते हैं। कहा गया है, 'प्रेम गली अति सांकरी, जा में दो ना समाहिं।'

प्यार में इतनी शक्ति होती है कि वह दो दिलों को एकाकार कर देता है। दोनों एक-दूसरे के प्यार में इतने खो जाते हैं कि उन्हें खुद का भी भान नहीं होता। 'जब वो है तब मैं नहीं, जब मैं हूं तब वो नहीं।'

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