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शनिवार, 3 सितंबर 2011

साइबर शोषण के शिकार हो रहे हैं बच्चे

बच्चों के लिए अपनी मनपसंद गाने या फिल्में कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर होते हैं। और तेजी से बच्चे इसका साझा अपने दोस्तों के साथ कर लेते हैं। सूचनाओं के इन अंधाधुंध साझेदारी से बच्चे साइबर शोषण के शिकार हो रहे हैं।
वैश्विक सुरक्षा टेक फर्म मैकएफी द्वारा देश के 10 शहरों में कराए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। इस सर्वे से यह जानने की कोशिश की गई है कि आज के भारतीय बच्चे ऑनलाइन से कितने सुरक्षित हैं।
सर्वे में दौलतमंद परिवार के 62 फीसदी बच्चों ने स्वीकार किया कि वे इंटरनेट पर निजी जानकारियां एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं।
मैकएफी इंडिया की अनंदिता मिश्रा ने बताया कि साइबर स्पेस पर हो रहे इस कारनामे के कारण बच्चों में डराने-धमकाने, पीछा करने, अश्लील बातें करने और धोखाधड़ी जैसे कई खतरे बढ़ रहे हैं। यह सर्वेक्षण में देश के कई शहरों में 500 बच्चों और 496 अभिभावकों को शामिल किया गया है।
 
दौलतमंद परिवार के जिन 500 बच्चों के ई-मेल आईडी हैं, उनमें 67 फीसदी चार से आठ साल आयुवर्ग के हैं जबकि सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपना अकाउंट रखने वाले 64 फीसदी बच्चे आठ से 12 साल आयुवर्ग के हैं।
 
सर्वेक्षण के नतीजों से पता चला है कि 58 फीसदी बच्चे अपने घर का पता साझा करते हैं और 40 फीसदी ने अपनी तस्वीरें साझा करने की बात स्वीकार की है। वहीं 12 फीसदी ने इंटरनेट पर अपने माता-पिता के क्रेडिट कार्ड के बारे में जानकारियां साझा की हैं।

1 टिप्पणी:

priyanka jain deshpande ने कहा…

bacho ko ham palko ko hi samjhana hoga. Is compitsion me ham uneh rok nahi sakte par aane wali musibato se thoda dara kar samjha sakte hai.