यहां देखने पर पता नहीं चलता कि कहां जमीन खत्म होती है और कहां से आसमान शुरू होता है। ये हैं बोलिविया के पोटोसि इलाके के सालार डे उयूनी साल्ट फ्लैट। दक्षिण बोलिविया में तूनूपा ज्वालामुखी के पास करीब 11 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला ये दुनिया का सबसे बड़ा नमक का रेगिस्तान है।
समुद्र स्तर से 3600 मीटर ऊंचाई पर स्थित होने से ऐसा लगता है यहां जमीन और आसमान एक हो गए हैं। जमीन पर नाचते-खेलते लोग और कारें लगता है हवा में उड़ रहे हैं। नमक का ये रेगिस्तान लंबी-टिटिकाका झील से भी बड़ा है, जिसका पानी बोलिविया और पेरू मिलकर इस्तेमाल करते हैं।
ये जगह पर्यटकों में काफी पॉपुलर है, खासकर वे जो कुछ अलग अंदाज में छुट्टियां बिताना चाहते हैं। यहां स्थानीय लोगों के साथ रहकर उन्हें आधुनिक जगत से कट जाने का अहसास होता है। यहां के लॉज में एक दिन के सिर्फ 15 डॉलर देकर ठहरा जा सकता है। इनमें घर जैसी सुख- सुविधाएं तो नहीं होतीं, फिर भी स्थानीय लामा लोगों के साथ उनकी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
लामा कारवां में ये लोग दूसरे गांवों में नमक पहुंचाकर बदले में खाने का सामान लेते हैं। उयूनी रीजनल टूरिज्म बोर्ड की प्रमुख रोसा पेरेज बताती हैं कि इलाके के लोगों ने अपने घरों में अतिरिक्त कमरे बना रखे हैं। वैसे टूरिस्ट यहां कई सालों से आ रहे हैं लेकिन पांच साल पहले पता चला है कि यहां नमक की परत के नीचे 5.4 मिलियन टन लिथियम है। दुनियाभर के लिथियम का ये पचास प्रतिशत है। फिलहाल ये कहा नहीं जा सकता कि लिथियम के खनन का पर्यटन पर कितना असर पड़ेगा।
समुद्र स्तर से 3600 मीटर ऊंचाई पर स्थित होने से ऐसा लगता है यहां जमीन और आसमान एक हो गए हैं। जमीन पर नाचते-खेलते लोग और कारें लगता है हवा में उड़ रहे हैं। नमक का ये रेगिस्तान लंबी-टिटिकाका झील से भी बड़ा है, जिसका पानी बोलिविया और पेरू मिलकर इस्तेमाल करते हैं।
ये जगह पर्यटकों में काफी पॉपुलर है, खासकर वे जो कुछ अलग अंदाज में छुट्टियां बिताना चाहते हैं। यहां स्थानीय लोगों के साथ रहकर उन्हें आधुनिक जगत से कट जाने का अहसास होता है। यहां के लॉज में एक दिन के सिर्फ 15 डॉलर देकर ठहरा जा सकता है। इनमें घर जैसी सुख- सुविधाएं तो नहीं होतीं, फिर भी स्थानीय लामा लोगों के साथ उनकी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
लामा कारवां में ये लोग दूसरे गांवों में नमक पहुंचाकर बदले में खाने का सामान लेते हैं। उयूनी रीजनल टूरिज्म बोर्ड की प्रमुख रोसा पेरेज बताती हैं कि इलाके के लोगों ने अपने घरों में अतिरिक्त कमरे बना रखे हैं। वैसे टूरिस्ट यहां कई सालों से आ रहे हैं लेकिन पांच साल पहले पता चला है कि यहां नमक की परत के नीचे 5.4 मिलियन टन लिथियम है। दुनियाभर के लिथियम का ये पचास प्रतिशत है। फिलहाल ये कहा नहीं जा सकता कि लिथियम के खनन का पर्यटन पर कितना असर पड़ेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें