पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले की मालविका माइती की अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने हायर सेकेंडरी कौंसिल से उस छात्रा की उत्तर पुस्तिका को 17 अगस्त को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है।'ठीक से जाँच नहीं हुई'
छात्रा की दलील है कि गणित की उत्तर पुस्तिकाओं की ठीक तरीके से जांच नहीं की गई है।
मालविका के वकील गौतम डे कहते हैं, 'परीक्षा के दौरान मालविका ने छह या सात सवालों के जवाब लिखे जिसके बाद उसे महसूस हुआ कि उसे बढ़िया नंबर नहीं मिल सकते इसलिए उसने लाल स्याही से सभी सवालों को रद्द कर दिया।'डे का कहना है कि वह गणित में फेल होना चाहती थी ताकि उसे अगले साल इस विषय की परीक्षा में शामिल होने का मौका मिल सके।
उसकी सोच थी कि वह अगले साल बेहतर तैयारी कर विषय में बढ़िया नंबर पा सकती है। इसलिए उसने सभी सवालों को लाल स्याही से रद्द कर दिया था।
डे कहते हैं, 'अगर कोई छात्र किसी विषय में पास हो जाता है तो उसे अगले साल उस विषय की परीक्षा दोबारा देने का मौका नहीं मिलता है। सिर्फ फेल होने वालों को ही अगले साल परीक्षा देने की सुविधा उपलब्ध है। वो ये मौका नहीं गँवाना चाहती थी।'पूर्वी मिदनापुर जिले में हरिपुर हाई स्कूल की छात्रा मालविका माइती ने इस साल बारहवीं के इम्तीहान दिए थे।उसे बांग्ला में 64, अंग्रेजी में 61, केमिस्ट्री यानी रसायन में 60, गणित में 54, फिजिक्स यानी भौतिकी में 58, बायोलॉजी यानी प्राणि विज्ञान में 54 और पर्यावरण विज्ञान में 76 नंबर मिले हैं। मालविका ने सिर्फ गणित के पर्चे को लेकर याचिका दायर की है।
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