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सोमवार, 18 जुलाई 2011
आया सावन खुशियाँ लेकर
आया सावन खुशियाँ लेकर
खुश हुई कुदरत बूँदें प् कर
फ़ैल गयी चारों ओर हरियाली खिल गए फूल डाली डाली
पायल चनका रही पावस रानी
चालक गया नदियों से पानी
चहचहा रहे हैं पंची दूर गगन में
नाच रहा है मो़र अपने पंख ताने
बुझ गयी पृथ्वी की तृष्णा
सानंद हुआ कृषक अपना
सोंधी सोंधी उठी सुगंधी
बह रही है पवन ठंडी ठंडी
दौड़ उठी कागज़ की कश्ती
बहने मेंहदी रचा आनंद झूलों का लेती आ गया पर्वों का मौसम
राखी तीज जन्माष्टमी और ओणम
बरखा ने शीतल किया मन्
प्रसन्न हुआ जन जन!
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