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सोमवार, 19 दिसंबर 2011

फेसबुक पर जासूसी : मीठी-मीठी बातों से बचना जरा...

 
फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट विदेशी जासूसों के लिए नए जाल के रूप में उभरी है, जिसके बाद सरकार ने अर्धसैनिक बलों और सशस्त्र बलों से अपने करियर संबंधी सूचनाएं साझा नहीं करने या फिर ऐसी साइटों से दूर रहने के लिए कहा है।

आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि साइबर जासूसी का मामला सामने आया है, जहां संवेदनशील इलाकों में तैनात अर्धसैनिक बलों के अधिकारी सीमा पार के जासूस या विदेशी एजेंटों के साथ चैट करते हुए पाए गए। इंटरनेट पर ये जासूस या एजेंट अपने को महिलाओं के रूप में पेश करते हैं।

सूत्रों के मुताबिक इसके मद्देनजर कई बैठकें हुईं ताकि दुश्मन का जासूस सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से अधिकारियों को अपने जाल में फंसाने के लिए सरकारी कंप्यूटरों का उपयोग न कर सके। अधिकारियों को भी इन तरकीबों के बारे में बताया गया है।

हालांकि कोई भी इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने या आंकड़ा देने को इच्छुक नहीं कि कितने अर्धसैन्यकर्मी इस प्रकार के साइबर जासूसी मामलों में शामिल हैं, लेकिन इन घटनाक्रम को करीब से जानने वाले दूर संचार मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि संवेदनशील इलाकों में तैनात अधिकारियों पर नजर रखने के लिए एक प्रभावी तंत्र तैयार किया जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक कुछ मामलों में तो अधिकारी आपत्तिजनक गतिविधि के साथ वीडियो चैट कर रहे हैं, जिसे अन्य देशों में जासूसों ने रिकॉर्ड किया और बाद में रणनीतिक या वाणिज्यिक सूचनाएं जुटाने के लिए ब्लैकमेल किया। अधिकारियों को तुरंत इन इलाकों से हटा दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।

सूत्रों के अनुसार कुछ अधिकारियों को एके 47 और वर्दी में पोज देते हुए पाया गया और कुछ मामलों में तो वे सर्विस रिवॉल्वर के साथ पोज देते हुए देखे गए। पूछताछ के दौरान उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उनका उद्देश्य लोगों खासकर लड़कियों को प्रभावित करना था।

सूत्रों ने कहा कि ऐसी घटनाएं अर्धसैन्य बलों में अधिक हैं, जबकि सशस्त्र बलों से भी कुछ ऐसी घटनाएं सामने आईं। गृह मंत्रालय ने पहले ही अधिकारियों से अपने सरकारी कंप्यूटरों पर फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों से दूर रहने को कहा है। मंत्रालय ने इस संबंध में अगस्त में ही परिपत्र जारी किया था।

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