देश की आशा हिंदी भाषा

फ़ॉलोअर

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

दूसरों के ईमेल – इनकी बपौती

 अक्सर होता है कि मित्र और परिचित लोग ऐसे ईमेल भेजते हैं जो उन्होंने एकसाथ कई लोगों को भेजे होते हैं। एक मित्र सर्कल में तो ईमेल सामने रहें (यानि कि सब प्राप्तकर्ताओं को अन्य लोगों के ईमेल दिखाई दें) तो चल जाता है, क्योंकि वहाँ तो प्रायः सभी एक दूसरे से परिचित होते हैं और एक दूसरे के ईमेल उनके पास होते ही हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जो ईमेल आया वह पचास अन्य लोगों को भी गया है और भेजने वाले के अतिरिक्त प्राप्तकर्ता कदाचित्‌ ही किसी को जानता हो। ऐसे में श्रेयस्कर यही होता है कि भेजने वाला सभी को ब्लाइंड कार्बन कॉपी (BCC) भेजे ताकि किसी भी व्यक्ति को अन्य प्राप्तकर्ता का ईमेल न पता चले।
ऐसा क्यों श्रेयस्कर होता है?
ऐसा इसलिए बेहतर होता है क्योंकि इससे सभी प्राप्तकर्ता अन्य प्राप्तकर्ताओं द्वारा भेजे जाने वाले स्पैम से सुरक्षित रह सकते हैं, कम से कम उस ईमेल के कारण उनको ईमेल स्पैम नहीं आएगा। स्पैम? जी हाँ ईमेल स्पैम (Email Spam)!! ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोग कुछ ज़्यादा ही समझदार होते हैं, वे यह समझते हैं कि उनको ऐसे जितने भी ईमेल आते हैं उनमें मौजूद तमाम ईमेल पते उनकी बपौती हैं, विज्ञापन देने के बिलबोर्ड (Billboard) हैं जहाँ वे अपने विज्ञापन भी ठोक सकते हैं!! :mad:
Spam - स्पैम
अभी हाल ही में ऐसा हुआ कि एक परिचित ने मेरे व्यवसायिक ईमेल पते पर ऐसी ईमेल भेजी। वह ईमेल पता मैं अब प्रयोग में नहीं लाता हूँ क्योंकि वह उन दिनों का है जब मैं कुछ वर्ष पहले कॉलेज के दिनों में फ्रीलांसिंग करता था। मैंने इन परिचित से अनुरोध किया कि मेरे दूसरे ईमेल पते पर ईमेल भेज लें, उस पते पर न भेजें। उन्होंने तुरंत इस बात पर कान नहीं धरा और पुनः वैसी एक ईमेल उस पते पर ठोक दी। मैंने पुनः अनुरोध किया, इस बार उन्होंने कान धर दिया इस पर लेकिन पंगा तो अब हो चुका था। उन्होंने जिन लोगों को ईमेल भेजी उनमें एक महानुभाव ऐसे ही लोगों में शामिल जो यही समझ रखते हैं कि आने वाली सभी ईमेल में मौजूद पते उनके विज्ञापनों को भेजने के लिए बने-बनाए ग्राहक हैं, आखिर जब किसी अन्य की ऐसी ईमेल पा रहे हैं तो इनकी क्यों नहीं पा सकते, चाहे बेशक वे किसी से भी परिचित न हों। कदाचित्‌ इसी को कहते हैं न जान न पहचान मैं तेरा मेहमान!! ऐसे लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जिसको वे ईमेल भेज रहे हैं विज्ञापन वाली वह उनका परिचित है कि नहीं, बस भेजनी है तो भेजनी है, यानि कि स्पैम करना है तो करना ही है, आखिर दूसरों के ईमेल विज्ञापन दिखाने के बिलबोर्ड हैं, उनके बाप का माल है!! :mad:
यदि अभी तक नहीं पहचाने हैं तो मैं बताए देता हूँ, ये स्पैमर साहब कवि हैं, हिन्दी कवि हैं, और हिन्दी में ही ऑनलाईन ब्लॉग रूपी कोई पत्रिका चलाते हैं!! और फिर कवि लोग सोचते हैं कि जन साधारण उनको गलियाता क्यों है!! :roll: अमां लोगों को खामखा ताबड़तोड़ स्पैम करोगे तो लोग गलियाएँगे नहीं तो क्या आरती उतारेंगे?!! ऐसे कुछ कवियों के कारण पूरी कवियों की बिरादरी बदनाम होती है!!
इन साहब से निपटना कोई कठिन कार्य नहीं था, न ही इनको समझाने की ज़रूरत मैंने समझी कि ऐसे ईमेल न भेजें, समझाया उनको जाता है जो थोड़ी समझ अपनी भी रखते हों। क्योंकि व्यवसायिक ईमेल पता है और अपने ही सर्वर पर है तो सिर्फ़ इतना करना पड़ा कि सर्वर की ईमेल सैटिंग में जाकर इस ईमेल पते को ब्लैकलिस्ट (Blacklist) कर दिया ताकि अब यदि इस ईमेल पते से कोई भी ईमेल आयी तो वह अपने आप ही साफ़ हो जाएगी, इनबॉक्स (Inbox) में आएगी ही नहीं!! ज़्यादा आफ़त आई तो अपने ईमेल खाते को व्हाईटलिस्ट (Whitelist) सैटिंग पर डाल दिया जाएगा जिससे होगा यह कि कुछ चुनिन्दा ईमेल पतों से ही ईमेल आ सकेंगे, बाकी के सभी ईमेल अपने आप साफ़ हो जाएँगे। यह एक एक्सट्रीम (extreme) कदम हो जाएगा लेकिन अपने ईमेल इनबॉक्स के लिए हो रहे युद्ध को जीतने के लिए कुछ भी चलेगा, मेरा ईमेल इनबॉक्स किसी के बाप-दादा की जागीर नहीं कि कोई भी ऐरा-गैरा नत्थू खैरा अपनी कविता अथवा ब्लॉग आदि के विज्ञापन भेजेगा तो उसको बर्दाश्त किया जाएगा।
वैसे कुछ लोग बड़े फंटूश होते हैं, उनको समझा लो कितना ही कि भई थोक के भाव लोगों को ईमेल करने हैं तो ब्लाइंड कार्बन कॉपी भेजो, जिनको भेज रहे हो उनका ज़रा ख्याल करो, अपनी ही रोटी मत सेंको सिर्फ़, लेकिन ऐसे लोगों के कान पर जूँ नहीं रेंगती, कुछ पल्ले नहीं पड़ता और ढीठों की भांति पिले रहते हैं उसी ढर्रे पर!!
अभी कुछ समय पहले तक जीमेल सेवा खुद ऐसे लोगों की सहायक थी। जीमेल में यह दिक्कत थी कि जिस किसी को भी ईमेल भेजी उसकी ईमेल अपने आप ही कॉन्टेक्ट सूचि में संचित हो जाती थी। और कुछ लोगों को ऐसी बीमारी होती है कि अपनी हर नई ब्लॉग पोस्ट, कविता आदि को या फिर किसी अन्य व्यक्ति से मिले बेकार के ईमेल फॉर्वर्ड को अपनी पूरी कॉन्टेक्ट सूचि को भेज देते हैं। एक-दो या दस-बीस को नहीं वरन्‌ सौ-दो सौ लोगों को एक बार में भेज देते हैं!! जाने कैसी यह स्पैम पिपासा है जो हर ईमेल के प्राप्त होते ही भड़क उठती है!! :roll:
ईमेल शिष्टाचार यह होता है कि आप किसी अपरिचित को खामखा ही ईमेल न भेजें, विज्ञापन वाली तो कभी नहीं। यदि किसी परिचित को भी अपने किसी विज्ञापन की ईमेल भेजते हैं और यदि वे आपत्ति उठाते हैं तो उसके बाद उनको कभी विज्ञापन वाली ईमेल न भेजें। बिना दूसरे व्यक्ति की कद्र किए आपको यह अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि कोई आपकी कद्र करेगा।
 
क्या आप ईमेल शिष्टाचारी हैं? या क्या आप दूसरों के ईमेल को अपने घर की खेती समझ उनको विज्ञापन ठोकते रहते हैं? 
:twisted:
Ajay Chavda
9755120156

कोई टिप्पणी नहीं: