यदि किसी का नाम चोर महोदय रख दिया जाय तो क्या पहली ही नजर में वह हंसी का पात्र नहीं बन जायेगा ?
४
जून से हम अपने महान देश का नाम हर जगह “भारत” लिखेंगे चाहे वह लिपि
देवनागरी हो या की अंग्रेजी या कोई और हमारे महान देश भारत का नाम इंडिया
होना हमारे लिये गुलामी की एक शर्मनाक निशानी है, जिसे हमें मिटाना ही
चाहिए. हम इस देश का गौरव टुकड़ों टुकडो में ला रहे हैं जैसे हमने बम्बई का
नाम मुंबई किया, कलकत्ता का नाम कोलकाता किया, मुंबई को लुटेरे विदेशी
बाम्बे कहकर चले गए थे.
हमारे देश का नाम भारत के अलावा हिदुस्तान
होना तो पूरी तरह से समझ में आता है परन्तु सिर्फ एक लुटेरे अंग्रेज के
कहने पर हमने अपना गौरवशाली इतिहास भुला दिया और बड़े ही फक्र के अपने को
इडियन कहलाना गौरव पूर्ण समझते है. यदि किसी का नाम चोर महोदय रख दिया जाय
तो क्या पहली ही नजर में वह हंसी का पात्र नहीं बन जायेगा?
जब किसी
महँ देश का नाम दो नहीं है तो फिर हमारे ही देश का दो नाम क्यों है, हमारे
सभी धर्म ग्रन्थों में इसे भारत लिखा जाता है तो फिर सभी सरकारी
व्यवस्थाओं में इसे भारत लिखे में किसे हर्ज है. हमने इसके बारे में कभी
सोचा क्यों नहीं, अब तो अंग्रेज हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, हम तो अब
तथाकथित स्वतन्त्र भी हो गए है वह भी ६३ साल पहले.
हमारी शक्तियां :
हमारी सबसे बड़ी शक्ति है हमारी सहनशीलता, हमारी सहिष्णुता, हमारा दयावान
होना, आध्यात्म को महत्त्व देना, ज्ञान और साधना, भारत ही ऐसा देश है जहां
पर पाँव छुआ जाता है, पेड़ों को पूजा जाता हैं गाय को पूजा जाता है, पति को
परमेश्वर और नारी को देवी की संज्ञा दी जाती है परन्तु इन्ही म्लेच्छ
अंग्रेजों ने भारत का पहला वेश्यालय, भारत का पहला शराबघर और भारत का पहला
गौ वधशाला अपनी अय्याशी के लिए कोलकाता में खोला और फिर पूरे भारत में
खुलवाते ही चले गए. उन्होंने हमारे सम्पूर्ण ज्ञान ग्रन्थ चुरा लिए, जो
उनके लिए आगे के शोध का आधार बना. उन्होंने हमें गरीबी के महाजाल में
फंसाया और आज ६३ साल बाद भी बड़े बेशर्मी से अपने को विकासशील देश गिनाते
है, १ डालर में हमारा ५० रुपया मिलता है. हमारे कुछ बहुत ही बेशर्म लुटेरे
नेता विदेशियों के साथ मिलकर अब भी इस देश को लूट रहे है और लुटवा रहे
हैं.अब हम इस लूट को और सहन नहीं करेंगे.
इसकी शुरुआत हम आज ही से
करेंगे. सबसे पहले हम अपने इस महान देश का नाम हर जगह सिर्फ भारत लिखेंगे;
किसी भी जगह इण्डिया या इंडियन नहीं लिखेंगे. ४ जून तक इस सन्देश को हमें
हर भारतवासी तक प्रभावी तरीके से पहुचा देना है, क्योंकि यह ४ जून भी है
कुछ ज्यादा ही खास.....
अगर आपको अपने इस महान देश पर गर्व है तो इसे अपने सभी जानने वालों के पास अग्रेषित करें. भारत स्वाभिमानी बनिए.
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जून से हम अपने महान देश का नाम हर जगह “भारत” लिखेंगे चाहे वह लिपि
देवनागरी हो या की अंग्रेजी या कोई और हमारे महान देश भारत का नाम इंडिया
होना हमारे लिये गुलामी की एक शर्मनाक निशानी है, जिसे हमें मिटाना ही
चाहिए. हम इस देश का गौरव टुकड़ों टुकडो में ला रहे हैं जैसे हमने बम्बई का
नाम मुंबई किया, कलकत्ता का नाम कोलकाता किया, मुंबई को लुटेरे विदेशी
बाम्बे कहकर चले गए थे.
हमारे देश का नाम भारत के अलावा हिदुस्तान
होना तो पूरी तरह से समझ में आता है परन्तु सिर्फ एक लुटेरे अंग्रेज के
कहने पर हमने अपना गौरवशाली इतिहास भुला दिया और बड़े ही फक्र के अपने को
इडियन कहलाना गौरव पूर्ण समझते है. यदि किसी का नाम चोर महोदय रख दिया जाय
तो क्या पहली ही नजर में वह हंसी का पात्र नहीं बन जायेगा?
जब किसी
महँ देश का नाम दो नहीं है तो फिर हमारे ही देश का दो नाम क्यों है, हमारे
सभी धर्म ग्रन्थों में इसे भारत लिखा जाता है तो फिर सभी सरकारी
व्यवस्थाओं में इसे भारत लिखे में किसे हर्ज है. हमने इसके बारे में कभी
सोचा क्यों नहीं, अब तो अंग्रेज हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, हम तो अब
तथाकथित स्वतन्त्र भी हो गए है वह भी ६३ साल पहले.
हमारी शक्तियां :
हमारी सबसे बड़ी शक्ति है हमारी सहनशीलता, हमारी सहिष्णुता, हमारा दयावान
होना, आध्यात्म को महत्त्व देना, ज्ञान और साधना, भारत ही ऐसा देश है जहां
पर पाँव छुआ जाता है, पेड़ों को पूजा जाता हैं गाय को पूजा जाता है, पति को
परमेश्वर और नारी को देवी की संज्ञा दी जाती है परन्तु इन्ही म्लेच्छ
अंग्रेजों ने भारत का पहला वेश्यालय, भारत का पहला शराबघर और भारत का पहला
गौ वधशाला अपनी अय्याशी के लिए कोलकाता में खोला और फिर पूरे भारत में
खुलवाते ही चले गए. उन्होंने हमारे सम्पूर्ण ज्ञान ग्रन्थ चुरा लिए, जो
उनके लिए आगे के शोध का आधार बना. उन्होंने हमें गरीबी के महाजाल में
फंसाया और आज ६३ साल बाद भी बड़े बेशर्मी से अपने को विकासशील देश गिनाते
है, १ डालर में हमारा ५० रुपया मिलता है. हमारे कुछ बहुत ही बेशर्म लुटेरे
नेता विदेशियों के साथ मिलकर अब भी इस देश को लूट रहे है और लुटवा रहे
हैं.अब हम इस लूट को और सहन नहीं करेंगे.
इसकी शुरुआत हम आज ही से
करेंगे. सबसे पहले हम अपने इस महान देश का नाम हर जगह सिर्फ भारत लिखेंगे;
किसी भी जगह इण्डिया या इंडियन नहीं लिखेंगे. ४ जून तक इस सन्देश को हमें
हर भारतवासी तक प्रभावी तरीके से पहुचा देना है, क्योंकि यह ४ जून भी है
कुछ ज्यादा ही खास.....
अगर आपको अपने इस महान देश पर गर्व है तो इसे अपने सभी जानने वालों के पास अग्रेषित करें. भारत स्वाभिमानी बनिए.
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