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गुरुवार, 25 अप्रैल 2013
पेंसिल से ऐसे खुद करें अपने रोगों का इलाज
पेंसिल से संभव है दर्द का इलाज जी हां हमारे हथेली में शरीर के हर अंग के लिए एक पाइंट होता है। हथेली के इन पाइन्ट्स में जो पाइन्ट जिस अंग के लिए होता है उसे दबाने पर वहां का दर्द खत्म हो जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी के सिर में दर्द है तो हथेली पर उपस्थित सिरदर्द के पाइंट को दबाने पर दर्द कम होने लगता है। पेंसिल थेरेपी शारीरिक दर्द और टेंशन को मिटाने की एक आसान पद्धति है। इस थेरेपी से एक्यूपे्रशर,एक्यूकपंचर, सु-जोक, रेफ़्लेक्सोलोजी, इत्यादि के लाभ मिलते हैं लेकिन इसे सीखना और करना बहुत सरल है। जिनके शरीर में दर्द या तनाव हो उन्हें यह थेरेपी करते समय अपनी उंगली पर दर्द का अनुभव होगा। थेरेपी करने से उन्हें दर्द और तनाव से राहत मिलेगी।
पेंसिल थेरेपी कैसे की जाती है?
बेलनाकार पेंसिल को हाथ और पैर की उँगलियों पर अंगूठे से थोड़े से दबाव के साथ घुमाया जाता है। पेंसिल को उँगलियों के चार साइड और चार कोनों पर घुमाया जाता है। नाखूनों पर पेंसिल नहीं घुमाते हैं। नाखून को छोड़कर बाकी सारी उंगली पर पेंसिल घुमाई जाती है। पेंसिल थेरेपी भोजन के एक घंटा पहले या दो ढाई घंटे बाद की जा सकती है। स्नान के एक घंटे पहले या एक घंटे बाद भी की जा सकती है।
पेंसिल थेरेपी करने के क्या लाभ है?
पेंसिल थेरेपी करने से दर्द से पीडि़त व्यक्ति को दर्द में राहत मिलती है और मानसिक तनाव ग्रस्त को तनाव से मुक्ति मिलती है। जिस व्यक्ति के शरीर में दर्द न हो उसे हलकापन या स्फूर्ति का एहसास होता है / नई ऊर्जा का संचार हुआ है ऐसा मालूम होता है। कई प्रकार की बीमारियों में पेंसिल थेरेपी से लाभ लिया जा सकता है।
यदि कोई डाक्टरी दवा शुरू हो तो उसे बिना अपने डाक्टर के सलाह के बंद नहीं करना चाहिए। पेंसिल थेरेपी करते समय दर्द से पीडि़त व्यक्ति को उंगली में असहनीय दर्द का अनुभव होता है। जिसके शरीर में अधिक दर्द हो उन्हें उंगली पर भी अधिक दर्द होगा और जिनके शरीर में दर्द कम हो उन्हें उंगली पर दर्द कम होगा। स्वस्थ व्यक्ति को सहनीय या साधारण दर्द होता है।
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013
नौकरियों की रफ्तार
रसातल छू रही आर्थिक विकास दर के मौजूदा दौर में रोजगार के अवसरों को
लेकर सरकार के सामने गंभीर सवाल हैं। पिछले दिनों सीआईआई की ओर से आयोजित
ग्लोबल पार्टनरशिप समिट में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने माना, ‘भारत में
खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के बाद बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है और इसका
मुकाबला करने के लिए प्राइवेट सेक्टर से मदद की दरकार है..आने वाले 15 साल
में भारत के सामने नौकरी चाहने वाले 25 करोड़ अतिरिक्त चेहरे होंगे।’ इन
हालात के बीच 2013 के बाकी महीनों में रोजगार के मौकों पर चर्चा करते वक्त
जॉब मार्केट के जानकार बेहद सतर्क हैं। नौकरीडॉटकॉम के वाइस प्रेसिडेंट वी
सुरेश का कहना है, ‘जब विकास दर 5 फीसदी के स्तर पर हो, तो जॉब मार्केट के
बारे में कोई भी भविष्यवाणी मुश्किल है। हालांकि, कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो
निश्चित ही उम्मीद जगाते हैं। मसलन, आईटी, बैंकिंग और आईटी आधारित सेवाओं
में सबसे ज्यादा नौकरियों के आसार हैं।’
जॉब मार्केट की उम्मीदें
प्राइवेट सेक्टर के 1200 रोजगारदाताओं के साथ किए गए अपने ताजा
सर्वेक्षण के आधार पर सुरेश का कहना है, ‘जुलाई 2012 के 62 फीसदी की तुलना
में इस समय 68 फीसदी कंपनियां अपने यहां कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी
की बात कह रही हैं।’ उनके मुताबिक 77 फीसदी कंपनियां आईटी और बैंकिंग
सेक्टर में रोजगार के नए मौके बनने की उम्मीद जाहिर कर रही हैं। लेकिन 10
फीसदी कंपनियां आने वाले समय में भर्तियों पर रोक के अलावा कंस्ट्रक्शन,
फार्मा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में काफी हद तक रिप्लेसमेंट हायरिंग की बात
करती हैं। यानी इन सेक्टरों की कंपनियां जो भर्तियां करेंगी, वे अपने कुछ
मौजूदा कर्मचारियों को बदलने के लिए होंगी। इन तीनों सेक्टरों की कंपनियां
यह भी मानती हैं कि यहां योग्य कर्मचारियों की बेहद कमी है, इस वजह से
रोजगार के अवसर बने हुए हैं। तेल और गैस, शिक्षा, तेजी से खपत वाले
उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में भी रोजगार के
अवसर दिखने की उम्मीद है।
आने वाले समय में होने वाले चुनावों के मद्देनजर सामाजिक क्षेत्र की
कई योजनाओं में बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च की संभावना है। माइक्रो बैंकिंग
टेक्नोलॉजी फर्म फिनो पेटेक के एचआर हेड संजय कुमार का कहना है, ‘आधार
कार्ड से कैश ट्रांसफर जैसी कई नई योजनाओं को अमली जामा पहनाया जाएगा और
ग्रामीण क्षेत्रों में भी आम और खास डिग्रीधारियों के लिए रोजगार के नए
अवसर बनेंगे। लेकिन ज्यादातर मौके आधुनिक टेक्नोलॉजी के जानकारों के लिए
होंगे।’ सुरेश भी चुनाव से पहले बुनियादी ढांचे में सरकार के कदमों को लेकर
आश्वस्त हैं। उनके मुताबिक, ‘सुधार की दिशा में सरकार के हालिया कदमों से
बैंकिंग, शिक्षा, रिटेल और आईटी आधारित सेवाओं में रोजगार के नए अवसर तय
हैं।’
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बिगड़े हालात को देखते हुए नौकरी बदलकर
दूसरी कंपनियों में छलांग लगाने वाले कर्मचारियों की संख्या चार साल में
पहली बार काफी हद तक घटी है। सर्वे में शामिल 63 फीसदी कंपनियां बताती हैं
कि जुलाई 2012 के 55 फीसदी की तुलना में महज 10 फीसदी कर्मचारी ही नौकरी
छोड़ने की हिम्मत जुटा रहे हैं। ऐसी स्थिति में रोजगार के नए मौके कम हो
जाते हैं। सर्वे के मुताबिक 36 फीसदी कंपनियां 2013 में वेतन में सिंगल
डिजिट ग्रोथ की भविष्यवाणी कर रही हैं। लेकिन आईटी आधारित सेवाओं व
कंस्ट्रक्शन सेक्टर में वेतन की बढ़ोतरी सबसे ज्यादा (10 से 15 फीसदी)
दिखाई देगी।
आईटी-सॉफ्टवेयर में कई मौके
आईटी आधारित सेवाएं, आईटी-सॉफ्टवेयर और बीपीओ जैसे सेक्टरों में नए
जॉब्स के अलावा रिप्लेसमेंट जॉब्स को लेकर भी अच्छे आसार हैं। लेकिन
कंपनियों का कहना है कि फ्रेशर्स यानी इसी साल कॉलेज से डिग्री पूरी कर
बाहर निकले छात्रों की जगह 4 से 8 साल तक के अनुभवी प्रोफेशनल्स के लिए
जॉब्स के मौके ज्यादा होंगे। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के एचआर डायरेक्टर रोहित
ठाकुर का कहना है, ‘प्रोडक्टिविटी से लेकर कम्युनिकेशन तक और काम की रफ्तार
बढ़ाने से लेकर बेहतर कारोबारी फैसलों पर पहुंचने तक, टेक्नोलॉजी अहम रोल
अदा करती है। कंपनियां इसमें निवेश करना जारी रखेंगी।’ ठाकुर के मुताबिक,
‘टेक्नोलॉजी में इनोवेशन करने वाले और उसे सपोर्ट करने वाला टैलेंट भी
हमेशा डिमांड में रहेगा। माइक्रोसॉफ्ट की बात करें तो प्रोडक्ट डेवलपमेंट
में भागीदारी, रिसर्च, उभरते हुए बाजारों के लिए सॉल्यूशंस, दुनिया भर में
बिजनेस को सपोर्ट करने वाले मॉडच्यूल और विश्वस्तरीय उत्पादों के लिए
मार्केटिंग के क्षेत्र में अवसर हैं। इन सेगमेंट में नियुक्तियां जारी
रहेंगी।’
इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर भी ठोस
इस सेक्टर में भी अनुभवी पेशेवरों से लेकर कुशल कारीगरों तक, सभी की
अच्छी मांग है। एनसीआर की प्रमुख रीयल एस्टेट फर्म रामप्रस्थ ग्रुप के सीईओ
निखिल जैन कहते हैं, ‘कारपेंटर, प्लंबर, मेसन और इलेक्ट्रिशियन की मांग
लगातार जारी है।’ दिल्ली की एचआर फर्म डायनामिक के सीनियर जनरल मैनेजर एस.
सी. त्यागी कहते हैं, ‘कंस्ट्रक्शन कंपनियों को माहिर पेशेवर नहीं मिल रहे
हैं। इसी तरह कुशल कारीगरों की कमी के चलते निर्माण कंपनियां एक-दूसरे के
प्रोजेक्ट में काम करने वाले प्लंबर, कारपेंटर, राज मिस्त्री आदि को ज्यादा
पैसा और सुविधाएं देकर तोड़ने से भी परहेज नहीं कर रहीं। भिवाड़ी के एक
मेगा हाउसिंग प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर नितिन शर्मा कहते हैं,‘कंस्ट्रक्शन
कंपनियां प्रोजेक्ट वक्त पर पूरा करने के लिए एक-दूसरे के प्रशिक्षित
कारीगरों को तोड़ने से गुरेज नहीं कर रहीं।’
वित्तीय सेवाएं
भारत ही नहीं विश्व की अर्थव्यवस्था बुरा दौर देख चुकी है। अलग-अलग
अनुमानों पर गौर करें, तो इस साल जीडीपी ग्रोथ 5-6 फीसदी की रेंज में रह
सकती है। पिछले दिनों सेंसेक्स के उछाल ने बैंकिंग सहित पूरे फाइनेंशियल
सेक्टर की उम्मीदें बढ़ाई थीं। इंटेक कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव
गोयल ने बताया कि बिजनेस ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए वे साल 2013 में नई
भर्तियों को लेकर सकारात्मक रुख बनाए हुए हैं। उनका मानना है, ‘समूचे
भारतीय फाइनेंशियल सेक्टर में ही रोजगार को लेकर अच्छी संभावनाएं हैं।
सेल्स, ऑपरेशंस, क्रेडिट, अकाउंट और मार्केटिंग सर्विसेज जैसे अलग-अलग
सेगमेंट में अवसर हैं। मजबूत कम्युनिकेशन स्किल्स, नेटवर्किग क्षमताओं,
सकारात्मक रुख और जिम्मेदारी पूरी करने के लिए जरूरी योग्यताओं पर जोर दिया
जा रहा है।’ मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के चीफ पीपल ऑफिसर शैलेश सिंह के
मुताबिक, ‘हमने बीते 18-24 महीनों में बीमा कंपनियों को फोकस और कंसॉलिडेट
करते हुए देखा है। कंपनियां खर्च पर शिकंजा कसेंगी और मुनाफे देने वाली
ग्रोथ पर निगाह रखेंगी। इसलिए सीनियर लेवल पर कम ही नियुक्तियों की संभावना
है। नियुक्तियों का पूरा फोकस रिप्लेसमेंट पर रहेगा। हालांकि, एजेंट
एडवाइजर के जरिए होने वाली बिक्री की तुलना में ऑनलाइन सेलिंग और बैंक चैनल
के जरिए ज्यादा बिकवाली होगी, जिससे इनमें ज्यादा भर्तियों की गुंजाइश
रहेगी।’
ऑटो सेक्टर में नौकरियों की रफ्तार
ऑटो सेक्टर जॉब मार्केट में डिमांड फिर से दिखाई दे रही है। ज्यादातर
बड़ी कंपनियों ने मैन्युफेक्चरिंग के साथ ही आरएंडडी में निवेश किया है।
हिन्दुस्तान मोटर्स के जनरल मैनेजर राजीव सक्सेना कहते हैं, ‘ऑटो सेक्टर
में मार्केटिंग प्रोफेशनल के अलावा इंजीनियरों की दरकार है।’ चूंकि इस
सेक्टर में कंपनियां टैलेंट की कमी की बात कहती हैं, इस वजह से यहां नौकरी
बदलने वालों की संख्या तुलनात्मक रूप से ज्यादा रहती है। इससे दूसरों के
लिए रोजगार की संभावनाएं बनती रहती हैं। लेकिन ज्यादातर कंपनियां
प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों के लिए ही बेहतर संभावनाएं मान रही हैं।
मंगलवार, 2 अप्रैल 2013
खत्म हो चुका है सचिन तेंडुलकर का भारतीय पिचों पर करियर!
कहते हैं सच कड़वा होता है। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर पर यह कथन
बिल्कुल सटीक बैठ रहा है। दिल्ली टेस्ट में टीम इंडिया के साथ ऐतिहासिक 4-0
की जीत का जश्न मनाने वाले सचिन का भारत में टेस्ट करियर अब शायद खत्म हो
चुका है।
भले ही खुद तेंडुलकर इस बात को स्वीकार न करें, लेकिन समय का चक्र इसी ओर इशारा कर रहा है।
कभी रन बनाने की मशीन रहे तेंडुलकर आज पिछले दो सालों से एक शतक को
तरस रहे हैं। ऐतिहासिक 100वां इंटरनेशनल सैकड़ा लगाने के बाद उनके बल्ले पर
कुछ ऐसा ब्रेक लगा कि वे 100 के आंकड़े को भूल गए।
तेंडुलकर ने बीते 24 माह में 21 टेस्ट मैच खेले हैं, लेकिन इस दौरान
वे एक भी शतक नहीं लगा सके। लिटिल मास्टर ने 8 हाफ सेंचुरी जरूर लगाईं,
जिसमें से वे दो बार नर्वस नाइंटीज का शिकार भी हुए, लेकिन 100 का आंकड़ा
उनसे दूर भागता रहा।
क्रिकेट से जुड़ा कोई भी शख्स तेंडुलकर के संन्यास की चर्चा नहीं करना
चाहता। सबका मानना है कि इसका फैसला तेंडुलकर ही कर सकते हैं। यह बात
वाजिब भी है। पिछले 23 सालों से लगातार क्रिकेट खेल रहे सचिन से बेहतर उनके
करियर के बारे में कोई नहीं बता सकता।
सचिन अभी फिलहाल टेस्ट क्रिकेट भले ही खेलते रहें, लेकिन भारत में उनका टेस्ट करियर लगभग खत्म हो चुका है।
गुरुवार, 28 मार्च 2013
बच्चे की सीख
बचपन से ही मुझे अध्यापिका बनने तथा बच्चों को मारने का बड़ा शौक था. अभी मैं पाँच साल की ही थी कि छोटे-छोटे बच्चों का स्कूल लगा कर बैठ जाती. उन्हें लिखाती पढ़ाती और जब उन्हें कुछ न आता तो खूब मारती. मैं बड़ी हो कर अध्यापिका बन गई. स्कूल जाने लगी. मैं बहुत प्रसन्न थी कि अब मेरी पढ़ाने और बच्चों को मारने की इच्छा पूरी हो जाएगी. जल्दी ही स्कूल में मैं मारने वाली अध्यापिका के नाम से प्रसिद्ध हो गई. एक दिन श्रेणी में एक नया बच्चा आया. मैंने बच्चों को सुलेख लिखने के लिए दिया था. बच्चे लिख रहे थे.
अचानक ही मेरा ध्यान एक बच्चे पर गया जो उल्टे हाथ से बड़ा ही गंदा हस्तलेख लिख रहा था. मैंने आव देखा न ताव, झट उसके एक चाँटा रसीद कर दिया. और कहा, "उल्टे हाथ से लिखना तुम्हें किसने सिखाया है और उस पर इतनी गंदी लिखाई!" इससे पहले कि बच्चा कुछ जवाब दे, मेरा ध्यान उसके सीधे हाथ की ओर गया, जिसे देख कर मैं वहीं खड़ी की खड़ी रह गयी क्यों कि उस बच्चे का दायाँ हाथ था ही नहीं.
किसी दुर्घटना में कट गया था. यह देख कर मेरी आँखों में बरबस ही आँसू आ गए. मैं उस बच्चे के सामने अपना मुँह न उठा सकी. अपनी इस गलती पर मैंने सारी कक्षा के सामने उस बच्चे से माफ़ी माँगी और यह प्रतिज्ञा की कि कभी भी बच्चों को नहीं मारूँगी. इस घटना ने मुझे ऐसा सबक सिखाया कि मेरा सारा जीवन ही बदल गया.
मंगलवार, 26 मार्च 2013
रंगवाली होली
होली दुनिया भर में मनाए जाने वाला एक धार्मिक त्योहार है जो सभी
हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। हिंदूओं दीवाली के बाद होली ही दूसरा सबसे
बड़ा त्योहार है। होली रंगों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित स्थानों पर खास कर के ब्रज में होली सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। बरसाना की
पारंपरिक होली उत्सव विश्व प्रसिद्ध है।
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।
राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढि़यां भूलकर ढोलक-झांझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है।
मुख्य रूप से रंगों का यह त्यौहार रंग के बहाने आपस में प्रेम-और भाईचारा के रंग से सरोबार होने का है।
भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित स्थानों पर खास कर के ब्रज में होली सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। बरसाना की
पारंपरिक होली उत्सव विश्व प्रसिद्ध है।
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।
राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढि़यां भूलकर ढोलक-झांझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है।
मुख्य रूप से रंगों का यह त्यौहार रंग के बहाने आपस में प्रेम-और भाईचारा के रंग से सरोबार होने का है।
रविवार, 24 मार्च 2013
मोबाइल में हिंदी लिखना हुआ आसान
गूगल ने एंड्रॉयड फोन में हिंदी इनपुट से लिखने की सुविधा मुहैया करा दी है। इससे पहले भी लोग मोबाइल में हिंदी लिख पा रहे थे, पर गूगल हिंदी इनपुट से रोमन में लिखने के अभ्यस्त लोग अब आसानी से देवनागरी में लिख पाएंगे। इसके लिए उन्हें हिंदी की-बोर्ड पर टाइप करने के बंधन से भी छुटकारा मिल जाता है।
इंस्टॉल करने का तरीका
एंड्रॉयड के प्लेस्टोर में Multiling keyboard, Go keyboard, Swift keyboard जैसे कई टूल ऐप्लिकेशन पहले से हैं पर इस टूल को स्थापित करना और इसका इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे हम इस तरह समझ सकते हैं :
- सबसे पहले प्लेस्टोर में जाकर Google Hindi Input सर्च करके फोन में इंस्टॉल करते हैं।
- यह अपने आप आपके फोन में स्थापित हो जाएगा। फोन में अलग से यह दिखता नहीं है। इसके लिए आपको
फोन की सेटिंग में जाना होगा।
- सेटिंग में जाकर locale and text पर जैसे ही क्लिक करेंगे, पहले से मौजूद की-बोर्ड के साथ google hindi input का विकल्प दिखेगा। आप इसमें इसे सिलेक्ट/इनेबल कर लें। इसके बाद इसी के ठीक नीचे दी गई google hindi input settings पर क्लिक करें। इसके बाद सबसे ऊपर input settings क्लिक करें। इसमें आए सभी विकल्प इनेबल कर दीजिए।
- इसके बाद locale and text में ही आपको select input method मिलेगा, जहां आप google hindi input चुन लें। बस, अब आप तैयार हैं, ईमेल, फेसबुक, ब्लॉग आदि पर मोबाइल से हिंदी लिखने के लिए। यह बिल्कुल फ्री और ऑफलाइन काम करता है।
टिप्स
- जैसे ही आप नया मेसेज देने के लिए क्लिक करेंगे, आपको यह की-बोर्ड दिखेगा। स्पेसबार में ENGLISH लिखा होने पर आपको ठीक इसके बायीं ओर (a=अ) को हल्का सा टच करना होगा। हिंदी लिखा हुआ आ जाएगा। की-बोर्ड वही आपका क्वर्टी रहेगा, जिसमें अभी आपको लिखने की आदत है। नमस्ते लिखने के लिए Namaste टाइप करने के बाद स्पेस बार लिखते ही शब्द आप जहां लिखना चाहते हैं, लिख जाएगा। आपके वांछित शब्द के साथ दूसरे विकल्प भी आते हैं, जिन्हें आप सुविधानुसार चुन सकते हैं। इसके लिए अगर वह पहले क्रम में नहीं हैं, तो उसे टच करके लिख सकते हैं। क्ष को ksh व 'ऋ' को ri टाइप करके पा सकते हैं।
- अगर आप हिंदी की-बोर्ड से ही लिखना चाहते हैं तो स्पेसबार के बायें से दूसरे बटन को हल्का टच करके उससे लिख सकते हैं। लॉन्ग-प्रेस करने पर यह दूसरे की-बोर्ड का विकल्प देता है।
- अंक लिखने के लिए क्वर्टी की-बोर्ड में ही लॉन्ग-प्रेस करके रोमन और अरेबिक अंकों का विकल्प मिल जाता है। नीचे सबसे बायें बटन (?12) को दबाकर भी अंक और स्माइली का विकल्प मिलता है। इसके लिए ड्रैग करने की जरूरत भी नहीं पड़ती। स्माइली पर क्लिक करते ही ढेर सारे विकल्प आ जाते हैं।
इसकी खासियत है कि आप एक ही की-बोर्ड का इस्तेमाल करते हुए हिंदी, अंग्रेजी लिख सकते हैं, वह भी वर्ड-प्रिडिक्शन के साथ। अलग से डिक्शनरी डाउनलोड करने की जरूरत नहीं है।
इस की-बोर्ड पर काम करते समय अगर आप अड्रेस बार पर यूआरएल टाइप करते हैं तो यह अपने आप अंग्रेजी वाले मोड में आ जाता है। अगर आप फोन के कॉन्टैक्ट में जाकर नंबर सर्च करते हैं तो भी हिंदी के साथ रोमन का विकल्प आता है, जिससे आसानी होती है।
इसमें हिंदी से अंग्रेजी और अंग्रेजी से हिंदी में शिफ्ट होना भी बहुत आसान है। बस बगल वाले बायें बटन को हल्का सा टच देकर ऐसा किया जा सकता है। स्पेसबार को ही अगर लॉन्ग-प्रेस कर देंगे तो आप अपने दूसरे की-बोर्ड पर भी शिफ्ट हो सकते हैं। इस तरह हिंदी में लिखने का यह तरीका मौजूदा विकल्पों में सबसे बढि़या है।
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