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शनिवार, 30 जुलाई 2011

क्यों हैं लंगडे शनिदेव .....

 
जीवात्मा हो या परमात्मा सभी को अपने-अपने कर्मो का फल भोगना प़डता है। ईश्वर भी कर्म बंधन से मुक्त नहीं है जब-जब उनके पुण्य कर्मो का क्षय हो जाता है, उन्हें भी पुण्य कर्मो की वृद्धि के लिए अवतार लेना प़डता है। शनिदेव जो स्वयं न्यायाधीश व दण्डाधिकारी है उन्हें स्वयं भी शाप युक्त होकर अपंगता का शिकार होना प़डा। शनिदेव की पगुंता या लंग़डेपन के नेपथ्य में दो कथायें मुख्य रूप से प्रचलित है। 

भगवान गणेश को गजानन बनाने के पीछे भी शनिदेव की दृष्टि को ही श्रेय जाता है। पुत्र प्राप्ति की इच्छा से भगवान शिव व माता पार्वती ने "पुण्यक व्रत" का आयोजन किया था। इसी पुण्यक व्रत के प्रभाव स्वरूप माता पार्वती को पुत्र रत्न की प्राçप्त हुई। इस पुत्र प्राप्ति के उपलक्ष्य में शिव लोक में समारोह का आयोजन किया गया जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। सभी ने शिव-पार्वती पुत्र को अनेको उपहार तथा आशीर्वाद दिए। सभी देवी-देवता इस मांगलिक उत्सव पर अत्यंत प्रसन्न थे। इस समारोह में शनिदेव भी आए थे और वे नेत्र झुकाए हुए थे तथा मन ही मन शिव पुत्र को आशीर्वाद दे रहे थे। उसी समय माता पार्वती की दृष्टि शनिदेव पर प़डी और उन्होंने शनिदेव को नीचे दृष्टि किए हुए देखा। यह देखकर माता पार्वती को अपने पुत्र का अपमान लगा और उन्होंने शनिदेव से अपने पुत्र को न देखने का कारण पूछा। शनिदेव ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के शाप (तुम जिसकी ओर देखोगे वह नष्ट हो जाएगा) से अभिशप्त हँू। माता! इसी कारणवश मैं, पुत्र गणेश की ओर दृष्टिपात नहीं कर रहा हँू। 

माँ पार्वती ने इस बात को हंसी में उ़डा दिया और कहा कि मेरे पुत्र को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है और आपकी दृष्टि मेरे पुत्र का कुछ भी अमंगल नहीं कर सकती। माता पार्वती के हठ के परिणामस्वरूप शनिदेव ने ज्यों ही पुत्र गणेश पर दृष्टि डाली त्यो ही उनका सिर ध़्ाड से अलग हो ब्रrााण्ड में विलीन हो गया। शिव लोक में हाहाकार मच गया और माँ पार्वती पुत्र वियोग में विलाप करने लगीं और मूर्छित हो गई। तभी भगवान विष्णु उत्तर दिशा की ओर निकल प़डे और उन्होंने एक हथिनी जो अपने नवजात शिशु के साथ उत्तर दिशा में सिर करके सो रही थी, उस गज शिशु का मस्तक भगवान विष्णु ने काट लिया और शिव पुत्र के ध्ड पर जो़ड दिया। होश मे आने पर माँ पार्वती ने शनिदेव को शाप दे दिया, किन्तु सभी देवताओं ने शनिदेव का पक्ष लिया कि शनिदेव ने आपके हठ के कारण ही आपके पुत्र पर दृष्टिपात किया था। माँ पार्वती को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने उस शाप को शनिदेव के एक पैर की विकलता के रूप में बदल दिया तब से ही शनिदेव लंग़डेपन के शिकार हो गये।
शनिदेव के लंग़डेपन के पीछे दूसरी पौराणिक कथा यह है कि - ऋषि विश्ववा के दो पत्नियां थी - "इडविडा" और "कैकसी"।
इडविडा ब्राrाण कुल से थी, जिनसे "कुबेर" और "विभीषण" नामक दो संतानें उत्पन्न हुई थी और असुर कुल में उत्पन्न दूसरी पत्नी कैकसी से "रावण", "कुंभकर्ण" और "सूर्पणखाँ" नामक तीन संताने थी। कुबेर ने धनाध्यक्ष की पदवी प्राप्त कर ली थी, जिसके कारण रावण तथा उसके भाईयों को बहुत ईष्र्या हुई और अपना तपोबल बढ़ाने के लिए रावण ने भाईयों सहित ब्रrाा की पूजा कर वरदान प्राप्त कर लिए और परम शक्ति का स्वामी बना गया। 
Shree Shani Dev Shingnapur
रावण की पत्नी मंदोदरी जब गर्भवती हुई तो रावण ने अपराजेय तथा दीर्घायु पुत्र की कामना से सभी ग्रहों को अपनी इच्छानुसार स्थापित कर दिया। सभी ग्रह भविष्य में होने वाली घटनाओं को लेकर चिंतित थे लेकिन रावण के भय से वही ठहरे रहें लेकिन जब मेघनाद का जन्म होने वाला था, उसी समय शनिदेव ने स्थान परिवर्तन कर लिया जिसके कारण मेघनाद की दीर्घायु, अल्पायु में परिवर्तित हो गई। 
शनि की बदली हुई स्थिति को देखकर रावण अत्यंत क्रोधित हुआ और उसने शनि के पैर पर अपनी गदा से प्रहार कर दिया जिसके कारण शनिदेव लंग़डे हो गए।

पर्यावरण का संदेश देती हरियाली अमावस्या


निवारीय हरियाली अमावस्या में करें पिंड दान 


प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। पर्यावरण को संरक्षित करने की दृष्टि से ही पेड़ पौधों में ईश्वरीय रूप को स्थान दे कर उनकी पूजा का विधान बताया गया है। जल में वरुण देवता की परिकल्पना कर नदियों व सरोवरों को स्वच्छ व पवित्र रखने की बात कही गई है। वायु मंडल की शुचिता के लिए वायु को देवता माना गया है। 

वेदों व ऋचाओं में इनके महत्व को बताया गया है। शास्त्रों में पृथ्वी, आकाश, जल, वनस्पति एवं औषधि को शांत रखने को कहा गया है। इसका आशय यह है कि इन्हें प्रदूषण से बचाया जाए। यदि ये सब संरक्षित व सुरक्षित होंगे तभी हमारा जीवन भी सुरक्षित व सुखी रह सकेगा।

श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह अमावस्या पर्यावरण के संरक्षण के महत्व व आवश्यकता को भी प्रदर्शित करती है। देश के कई भागों विशेष कर उत्तर भारत में इसे एक धार्मिक पर्व के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाया जाता है। 

इस दिन नदियों व जलाशयों के किनारे स्नान के बाद भगवान का पूजन-अर्चन करने के बाद शुभ मुहूर्त में वृक्षों को रोपा जाता है। इसके तहत शास्त्रों में विशेष कर आम, आंवला, पीपल, वट वृक्ष और नीम के पौधों को रोपने का विशेष महत्व बताया गया है।

वृक्षों में देवताओं का वास 

धार्मिक मान्यता अनुसार वृक्षों में देवताओं का वास बताया गया है। शास्त्र अनुसार पीपल के वृक्ष में त्रिदेव याने ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है। इसी प्रकार आंवले के पेड़ में लक्ष्मीनारायण के विराजमान की परिकल्पना की गई है। इसके पीछे वृक्षों को संरक्षित रखने की भावना निहित है। पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए ही हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने की प्रथा बनी।

इस दिन कई शहरों व गांवों में हरियाली अमावस के मेलों का आयोजन किया जाता है। इसमें सभी वर्ग के लोंगों के साथ युवा भी शामिल हो उत्सव व आनंद से पर्व मनाते हैं। गुड़ व गेहूं की धानि का प्रसाद दिया जाता है। स्त्री व पुरुष इस दिन गेहूं, ज्वार, चना व मक्का की सांकेतिक बुआई करते हैं जिससे कृषि उत्पादन की स्थिति क्या होगी का अनुमान लगाया जाता है। 

मध्यप्रदेश में मालवा व निमाड़, राजस्थान के दक्षिण पश्चिम,गुजरात के पूर्वोत्तर क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश के दक्षिण पश्चिमी इलाकों के साथ ही हरियाणा व पंजाब में हरियाली अमावस्या को इसी तरह पर्व के रूप में मनाया जाता है।

शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

रोज दो घंटे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिता देते हैं युवा


एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार बड़े भारतीय शहरों के तकनीक प्रेमी युवा हर रोज अपने दो घंटे फेसबुक, ट्विटर और ऑर्कुट जैसे सोशल न‍ेटवर्किंग साइट्स पर बिताते हैं ताकि दूसरों के संपर्क में रह सकें.
‘इंडियाबिज न्यूज एंड रिसर्च सर्विसेज’ की ओर से कराए गए ‘सोशल मीडिया’ सर्वे में यह भी पाया गया कि तकरीबन 30 फीसदी नौजवान कम्प्यूटर नहीं बल्कि अपने मोबाइल फोन के जरिये सोशल न‍ेटवर्किंग साइट्स पर जाते हैं.
नौजवानों के बीच आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के उपयोग में इस कदर इजाफे से पता चलता है कि पल-पल नया रंग ले रही प्रौद्योगिकी और संचार माध्यम के प्रति उनमें कितना लगाव है.
सर्वेक्षण के मुताबिक, नौजवानों के बीच ‘फेसबुक’ सबसे लोकप्रिय सोशल न‍ेटवर्किंग साइट के तौर पर उभर कर सामने आया है जबकि ‘लिंक्ड-इन’ इस मामले में दूसरे पायदान पर है. वीडियो शेयरिंग साइट ‘यू-ट्यूब’ और ‘ट्विटर’ भी युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय हुए हैं.
गौरतलब है कि यह सोशल मीडिया सर्वे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलूर जैसे महानगरों में कराया गया था.

गुरुवार, 28 जुलाई 2011

'कृपया मुझे फेल कर दें'

आमतौर पर लोग परीक्षा में फेल हो जाने के बाद अदालत का रुख करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल की एक छात्रा ने सबको चौंका दिया जब उसने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करके कहा कि उसे परीक्षा में ग़लत ढंग से पास कर दिया गया है और उसे फेल कर दिया जाए।छात्रा ने अपनी याचिका में कहा है, 'मैंने गणित के सभी सवालों को लाल स्याही से रद्द कर दिया था इसीलिए मुझे शून्य मिलना चाहिए था फिर भी मुझे 54 नंबर मिल गए हैं। कृपया मुझे फेल कर दें।'

पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले की मालविका माइती की अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने हायर सेकेंडरी कौंसिल से उस छात्रा की उत्तर पुस्तिका को 17 अगस्त को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है।
'ठीक से जाँच नहीं हुई'
छात्रा की दलील है कि गणित की उत्तर पुस्तिकाओं की ठीक तरीके से जांच नहीं की गई है।

मालविका के वकील गौतम डे कहते हैं, 'परीक्षा के दौरान मालविका ने छह या सात सवालों के जवाब लिखे जिसके बाद उसे महसूस हुआ कि उसे बढ़िया नंबर नहीं मिल सकते इसलिए उसने लाल स्याही से सभी सवालों को रद्द कर दिया।'
डे का कहना है कि वह गणित में फेल होना चाहती थी ताकि उसे अगले साल इस विषय की परीक्षा में शामिल होने का मौका मिल सके।

उसकी सोच थी कि वह अगले साल बेहतर तैयारी कर विषय में बढ़िया नंबर पा सकती है। इसलिए उसने सभी सवालों को लाल स्याही से रद्द कर दिया था।

डे कहते हैं, 'अगर कोई छात्र किसी विषय में पास हो जाता है तो उसे अगले साल उस विषय की परीक्षा दोबारा देने का मौका नहीं मिलता है। सिर्फ फेल होने वालों को ही अगले साल परीक्षा देने की सुविधा उपलब्ध है। वो ये मौका नहीं गँवाना चाहती थी।'
पूर्वी मिदनापुर जिले में हरिपुर हाई स्कूल की छात्रा मालविका माइती ने इस साल बारहवीं के इम्तीहान दिए थे।उसे बांग्ला में 64, अंग्रेजी में 61, केमिस्ट्री यानी रसायन में 60, गणित में 54, फिजिक्स यानी भौतिकी में 58, बायोलॉजी यानी प्राणि विज्ञान में 54 और पर्यावरण विज्ञान में 76 नंबर मिले हैं। मालविका ने सिर्फ गणित के पर्चे को लेकर याचिका दायर की है।

बुधवार, 27 जुलाई 2011

कार्यस्थल पर सिगरेट नहीं प्लीज !

विश्व तंबाकू निषेध दिवस आया और गया मगर भारतीय कंपनी जगत में इसका खास असर नहीं हुआ. क्यों? आइए देखें:
लत छोड़ने का वक्त
भारत में कंपनी जगत के लोग कैंसर की दंडिका से मुक्ति पाने को लेकर कितने सचेत हैं? मैक्स हेल्थकेयर ग्रुप ने साथ की प्रमुख कंपनियों-जीई कैपिटल, इफको, विप्रो, स्पाइस बीपीओ, आइ-एनर्जाइ.जर और अन्य-के बीच यह संदेश फैलाने की कोशिश की कि धूम्रपान का वैज्ञानिक ढंग से निजात मुमकिन है.
19 से 35 की उम्र के-स्त्री-पुरुष बराबर-यही कोई 500 कर्मचारियों का सर्वे किया गया. आंतरिक चिकित्सा संस्थान के निदेशक डॉ. संदीप बुद्धिराजा और मैक्स में मानसिक स्वास्थ्य तथा व्यवहार विज्ञान के प्रमुख डॉ. समीर पारीख ने जवाबों का विश्लेषण किया. पता चला, लोग अंधाधुंध पी रहे हैं.
वैज्ञानिक ढंग से धूम्रपान छुड़ाने के उपचार के बारे में भारी अज्ञानता है. कंपनियां भी अपनी ओर से कोई मार्गदर्शन नहीं कर रहीं. अच्छी खबर यही है कि कंपनी जगत के इन फुक्कड़ों में अब यह लत छोड़ने की बेचैनी बढ़ रही है.

हमें कुछ नहीं पता
ज्‍यादातर दफ्तरों में धूम्रपान निषेध के संकेत बने होने के बावजूद लोगों को पता ही नहीं कि वह वर्जित क्षेत्र है. 75 फीसदी पुरुषों और 25 फीसदी महिलाओं को नहीं पता कि उनके दफ्तर में पीने की इजाजत कहां है.
छोड़ें या नहीं

50% कर्मचारी तो पिछले साल भर में एक बार भी 24 घंटे के लिए धूम्रपान नहीं छोड़ पाए हैं. 20 फीसदी ने कोशिश की पर वे भी नाकाम रहे.
67% कर्मचारियों को पता ही नहीं कि ध्रूमपान छोड़ने के वैज्ञानिक विकल्प भी हैं.

80% ने अपने या दूसरों के बताए तरीकों का प्रयोग करके धूम्रपान छोड़ने की कोशिश की. ऐसे प्रयास अमूमन निष्ह्ढभावी ही रहे, जिससे उनकी प्रेरणा में कमी आई.

80% लोग कार्यस्थल पर धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रमों का स्वागत करेंगे.

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

मांडू में उतर आई हैं बादलों की परियां

मनमोहक प्राकृतिक नजारों के लिए प्रसिद्घ मांडू इन दिनों घने कोहरे की आगोश में है। यहां मौसम मेहरबान लग रहा है और ऐसा लग रहा है मानो प्रकृति ने हरियाली और कोहरे की चादर ओढ़ ली हो। घने बादल तो जैसे जमीन पर आने को आतुर दिखाई दिए
मध्यप्रदेश की पयर्टन नगरी मांडू में रिमझिम फुहारों का दौर चल रहा है। पूरे क्षेत्र में छाए घने कोहरे के कारण पर्यटकों को दिन में भी अपने वाहनों की लाइट का सहारा लेना पड़ा।
वहीं स्थानीय प्रतिष्ठानों की भी यही स्थिति रही। घने कोहरे को देखते हुए नगर पंचायत द्वारा सड़क बत्तियां समय के पहले ही चालू कर दी गई थीं। मांडू पहुंचने वाले पर्यटक मौसम का एक अलग ही नजारा देख रहे हैं और इसका जमकर लुत्फ भी उठा रहे हैं।
कोहरे का असर काकड़ा खो, रूपमति महल और सोनगढ़ के आसपास कुछ ज्यादा ही देखा गया। ऐसा लग रहा है मानो बादलों की ढेर सारी परियां जमीन पर उतर आईं हों। मांडू के घाट क्षेत्र में पर्यटकों को रेलिंग और रोशनी की सुविधा नहीं होने के कारण भारी परेशानी उठाना पड़ी। यहां पर मौसम अपने पूरे शबाब पर है। क्षेत्र के लोगों को अभी भी तेज वर्षा की दरकार है।

पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण पर्यटक काकड़ा खो एवं अन्य क्षेत्रों में बहने वाले झरनों के अनुपम दृश्यों से अभी तक वंचित हैं। अगर मौसम में ऐसी ही ठंडक बनी रही तो आने वाले कई रविवारों को यहां भारी संख्या में पर्यटकों का आगमन होने की संभावना है।

आराम करो !

सोमवार, 25 जुलाई 2011

छिलकों में भी छुपे हैं गुण

छिलकों के घरेलू प्रयोग आजमाएं
नींबू और संतरे के छिलकों को सुखाकर अलमारी में रखा जाए तो इनकी खुशबू से झिंगुर व अन्य कीट भाग जाते हैं।
ऐसे सूखे छिलकों को जलाने से जो धुआं होता है उनसे मच्छर मर जाते हैं।
इसकी राख से दांत साफ किए जाएँ तो दुर्गंध दूर हो जाती है।
नींबू निचोड़ने के बाद बचे हुए हिस्से को त्वचा पर रगड़ने से त्वचा की चिकनाई कम होती है।
इसके रगड़ने से मुंहासे भी कम होते हैं और रंग निखरता है।
पीतल और तांबे के बर्तन इससे चमकदार बनते हैं।
नींबू के छिलकों को कोहनी और नाखूनों पर रगड़ने से कालापन कम होता है और गंदगी हट जाती है।
इन्ही छिलकों को नमक, हींग, मिर्च और चीनी के साथ पीसने से स्वादिष्ट चटनी बनती है।
संतरे का रस तो चेहरे को कांतिमय बनाता ही है, छिलकों को यदि छाया में सुखाकर पीसा जाए तो यह उबटन का काम करता है जिससे चेहरे के दाग-धब्बे हटते हैं और त्वचा खूबसूरत बनती है।
संतरे के छिलके को पानी में डालकर नहाने से पसीने की दुर्गंध दूर होती है और ताजगी आती है।

शनिवार, 23 जुलाई 2011

सफलता का बीजगणित


'
आजोबा! ये क्या अजीब-सा गणित आप कर रहे हो?' अदिति ने पूछा। मैं ऐसे ही अपनी डायरी में कुछ लिख रहा था और अदिति मेरे पीछे कब आकर खड़ी हो गई, पता ही नहीं चला। डायरी के पन्नो पर दर्ज था : (त+म+ध) न द?

'यह एक नया बीजगणित टाइप इक्वेशन है जो मैं बनाने की कोशिश में हूँ- ऐसे ही टाइम-पास के लिए, मैंने मुस्कुराकर कहा।

'
मुझे समझाओ ना!' -अदिति बोली।
मैंने कहा, 'समझाऊँगा। वो प्रश्नचिह्न हम बाद में देखेंगे। पहले तू '(त+म+ध) न' इसका मतलब तो बता? थोड़ा-बहुत बीजगणित तो तू सीखी है स्कूल में!'

'सिम्पल है, आजोबा! ये 'ब्रेकेट' निकाल दो और इसे सरल करो, सिम्प्लीफाय करो तो ये होगा- 'तन+मन+धन', क्योंकि 'त', 'म', 'ध' तीनों के लिए 'न' से गुणा कॉमन है।' -अदिति बोली।

'
शाबाश', मैंने कहा- 'चलो, अब उस प्रश्नचिह्न की ओर जाते हैं। तन, मन, धन लगाना यानी क्या होता है?'

'खूब लगन' से काम करना, और क्या?' अदिति ने बिलकुल सही जवाब दिया। तन+मन+धन द लगन ही तो है।

'
वाह! क्या बात है!' मैंने उसकी तारीफ करते हुए उसकी पीठ थपथपाई।

'
आजोबा! ये तो ठीक है। पर एक सरल-सा उदाहरण देकर समझाओ ना प्लीज।'

'
ओके! देख, तेरी पढ़ाई का ही उदाहरण लेते हैं। तुझे परीक्षा में अव्वल आना है ना?'

अदिति ने सिर हिलाकर 'हाँ' कहा और ध्यान से मुझे सुनने लगी।
मैंने उसे समझाया, 'अव्वल आने के लिए भी यह फॉर्मूला जरूरी है। खाने-पीने पर ध्यान दो, रोज थोड़ा खेलो-कूदो, कसरत करो, सफाई का ध्यान दो, तो तन यानी शरीर अच्छा रहेगा। बीमार रहोगे तो कैसे पढ़ाई करोगे? दूसरा, मन में एकाग्रता हो तो ही पढ़ाई अच्छी होती है, जो पढ़ाया जाता है वो समझ में आता है।
टीवी देखते हुए या गैलरी में बैठे बाहर नजर हो तो, या फिर कान में 'आईपॉड' डाले कभी अच्छी पढ़ाई हो ही नहीं सकती। पढ़ाई के वक्त न कोई दोस्त इर्द-गिर्द, न हाथ में चॉकलेट या वेफर्स, न कोई फिल्मी गानों का शोर। ये सब व्यवधान है एकाग्रता में, समझी?'

'पर आजोबा! मैं धन कहाँ से लाऊँगी? तन और मन तो ठीक है!' अदिति ने चालाकी से पूछा। मैंने कहा, उसकी फिक्र मत करो। वो मेरी और तुम्हारे डैडी की जिम्मेदारी है। पर फिर भी तुझे जो 'पॉकेट मनी' मिलता है उसका इस्तेमाल तू अच्छे तरीके से कर सकती है जैसे थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर कोई जनरल नॉलेज की किताब लेना या सीडी भी लेना तो किसी ज्ञानवर्धक विषय की या अच्छी डिक्शनरी, छोटा-सा कैल्कुलेटर वगैरह। कई बातें हैं जिसमें तुम अपने 'धन' का सदुपयोग कर सकती हो!"

'
बहुत अच्छा समझाया! 'थैंक्स!' अदिति खुश होकर बोली। 'सच, लगन का यह फॉर्मूला बड़ा मजेदार है- तन+मन+धन द लगन द कामयाबी यानी सक्सेस!"
अदिति की समझदारी से मुझे बड़ा संतोष हुआ। जाते-जाते अदिति बोली, 'मुझे तो 'तन, मन, धन' का एक भजन भी आता है। स्कूल में सिखाया है।' और वो गुनगुनाने लगी :

'तन, मन, धन से करो गुरु सेवा
हरि समान है सद्गुरु देवा!

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

फल एक फायदे अनेक : जामुन

मौसम का सेहतमंद फल
  
मुंह में छाले होने पर जामुन का रस लगाएँ। वमन होने पर जामुन का रस सेवन करें। 
भूख न लगती हो तो कुछ दिनों तक भूखे पेट जामुन का सेवन करें। 
जामुन के पत्तों का रस तिल्ली के रोग में हितकारी है। 
जामुन के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पुराने दस्त बंद हो जाते हैं एवं मसूढ़ों की सूजन भी कम होती है। 
जामुन के पेड़ की छाल को गाय के दूध में उबालकर सेवन करने से संग्रहणी रोग दूर होता है। 
जामुन पत्तों की भस्म को मंजन के रूप में उपयोग करने से दाँत और मसूड़े मजबूत होते हैं। 
जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस पावडर को फांकने से मधुमेह में लाभ होता है तथा इस पावडर में थोड़ा-सा गाय का दूध मिलाकर मुंहासों पर रात को लगा लें, सुबह ठंडे पानी से मुंह धो लें। कुछ ही दिनों में मुंहासे मिट जाएंगे। 
कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें। जामुन का सिरका भी गुणकारी और स्वादिष्ट होता है, इसे घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है और कई दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है I

जरूरी है लोभ का त्याग!


ज्ञानी लोग निरंतर सत्व में ही स्थित रहते हैं। जो अपने को देखना चाहे कि हम ज्ञानी हैं कि नहीं तो देखे कि मेरा मन आत्मा में ही संतुष्टि है कि बाहर भटकता है तो मालूम पड़ जाएगा। जो ज्ञान का रास्ता चलने लगता है तो वह कभी न कभी ठिकाने पहुंच ही जाता है। जब किसी की बुद्धि ज्ञान की बात ग्रहण नहीं करती तो आप्त पुरुष उसे कर्मयोग, भक्ति योग आदि का, अधिकारी भेद से चित्त शुद्धि के लिए उपदेश करते हैं। इस तरह ज्ञान को लक्ष्य के रूप में संकेत करके अधिकार अनुसार कर्म का उपदेश युक्ति संगत ही है।
जो अपने में तस्त है और जो परमात्मा में मस्त है, दोनों एक ही हैं। दोनों में बालक की तरह सहज कामना उठती है-बहुत चिंतन नहीं करते। माता पीटे तो भी माता की गोद में छिपते हैं। यही हाल ज्ञानी भक्त लोगों का है। उनके लिए परमात्मा के सिवाय और कोई नहीं है। बड़ा बालक होता है, वह भोजन स्वयं कर लेता है। माता उसकी चिंता विशेष नहीं रखती। छोटा बच्चा है, उसके भोजन, वस्त्र की चिंता भगवान रूपी माता करती है।
जो सात्विक नहीं है, रजोगुणी, तमोगुणी है, उनसे ज्ञान दूर होता है। जब मनोगत कामना को छोड़ देता है तो प्रज्ञा स्थित हो पाती है पर छूटना कठिन है। इसके लिए कर्म योग का साधन बताया जो कर्मयोग में सिद्ध हो जाता है, उसे स्थितप्रज्ञ कहते हैं। किसी की बुद्धि तीव्र होती है, किसी की मंद। अन्वय व्यक्तिरेक का ज्ञान बुद्धि में ही आता है। यह वास्तविक ज्ञान नहीं है। अनुभव से वास्तविक ज्ञान होता है। सत्य का अनुभव हो जाता है तो असत्‌ छूट जाता है।
भगवान ने अर्जुन को याद दिलाया कि बालक की तरह निर्लोभी आदि होना चाहिए। पर उसकी सब कामनाएं सुषुप्त रहती हैं और बड़े हो जाने पर सब कामनाएं जागृत हो जाती हैं। ज्ञान होकर जो निर्विकार होते हैं, वे स्थितप्रज्ञ होते हैं और अज्ञान होकर जो निर्विकार होते हैं, वे बालक की तरह होते हैं। बोलते तो मैना, तोता भी हैं पर वाणी ही सब कुछ नहीं है। वाणी में शांति है तो वह शांति पुरुष है और तेज है तो तेजस्वी है। जब क्षोभ के अवसर आवे और शांत रहे, तब शांति रह जाती है।
बालक और ज्ञानियों में उल्टा क्रम होता है। बालक जैसे-जैसे बढ़ते हैं तो विकार बढ़ता है और ज्ञानी ज्यों-ज्यों बढ़ते हैं तो विकार कम होते जाते हैं। नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे दोनों क्रम चलता है। हम भी जब बच्चे थे तो बड़े लोग कहते थे कि पहले पढ़ो तो रोटी मिलेगी। उस समय तो समझते थे कि पहले रोटी मिल जाए फिर पढ़ लेंगे। पर अब मालूम हुआ कि पहले पढ़ लेंगे तब रोटी मिलेगी।
इसलिए पहले 'क' माने करो फिर 'ख' माने खाओ। पहले कर्मयोग है फिर ज्ञानयोग।
रागद्वेष रहते हुए भी अपने को ज्ञानी समझता है, वह तो सकाम कर्म करने वाले से भी नीच है। शुद्ध अंतःकरण जैसा करता है, वही ठीक होता है। जो अपने रूकता है और अपने चलता है, वह साधक है। सिद्ध का स्वतः होता है और साधक उसके पीछे-पीछे चलते हैं क्योंकि साधक को भी ज्ञानी होना है।

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

बारिश में बढ़ता फूड पॉइजनिंग का खतरा

रिमझिम फुहारों का दौर शुरू हो गया है लेकिन हल्की गर्मी के तेवर भी अभी कम नहीं हुए हैं। गर्मी व बारिश का यह मिला-जुला मौसम सेहत के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील मौसम है। बार-बार प्यास लगने पर व्यक्ति जहां कुछ भी ठंडा पी लेता है, वहीं इस मौसम में खाद्य पदार्थों को भी खराब होते समय नहीं लगता। फूड पॉइजनिंग का खतरा हमेशा बना रहता है।
ऐसे में अपनी सेहत के प्रति पूरी सावधानी रखनी चाहिए। फूड पॉइजनिंग का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि अगर खाना खाने के एक घंटे से 6 घंटे के बीच उल्टियां शुरु हो जाती हैं, तो मान लेना चाहिए कि व्यक्ति को फूड पॉइजनिंग की शिकायत है। इसे तुरंत काबू में करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
यह मुख्यतः बैक्टीरिया युक्त भोजन करने से होता है। इससे बचाव के लिए कोशिश यही होना चाहिए कि घर में साफ-सफाई से बना हुआ ताजा भोजन ही किया जाए। अगर बाहर का खाना खा रहे हैं तो ध्यान रखें कि खुले में रखे हुए खाद्य पदार्थों तथा एकदम ठंडे और असुरक्षित भोजन का सेवन न करें।
इन दिनों ब्रेड, पाव आदि में जल्दी फंफूद लग जाती है इसलिए इन्हें खरीदते समय या खाते समय इनकी निर्माण तिथि को जरूर देख लें। घर के किचन में भी साफ-सफाई रखें। गंदे बर्तनों का उपयोग न करें। कम एसिड वाला भोजन करें।
क्यों होती है फूड पॉइजनिंग
गंदे बर्तनों में खाना खाने से।
बासी और फफूंदयुक्त खाना खाने से।
अधपका भोजन खाने से।
मांसाहार से।
फ्रिज में काफी समय तक रखे गए खाद्य पदार्थों के उपयोग से।

बुधवार, 20 जुलाई 2011

फेसबुक ने मिलवाया 11 साल के बिछुड़े को

फेसबुक दोस्तों को ही नहीं बल्कि बिछुड़े को भी मिलाने का काम कर रही है। ताजा उदाहरण पुणे के मनोहर का है। मनोहर वेंकटरमन नेमानिवर 28 दिसंबर 2000 को अपने घर नांदेड़ से गायब हो गया था।

रेस्टोरेंट चलाने वाले मनोहर के पिता ने अपने बेटे के गुम होने की रिपोर्ट भी लिखवाई पर कुछ पता नहीं चला। इसके बाद पिछले दिनों फेसबुक पर मनोहर के घर वाले शिर्डी में रहने वाले मनोहर के एक दोस्त के संपर्क में आए।

मनोहर के इस दोस्त से बातचीत में पता चला कि मनोहर शिर्डी में दर्शन के लिए आता रहता है। परिवार वालों ने तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी दी। कुछ ही दिनों में पुलिस ने मनोहर को मंदिर के पास पकड़ लिया।

मनोहर ने बताया कि वह होटल में वेटर का काम कर रहा है। पिता खुश हैं कि बेटा मिल गया पर इस बात का पता नहीं चला कि आखिर वह घर से गया क्यों था। कुछ भी हो फेसबुक का रोल तो इस घटना में मजेदार है।

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

ईश्वर की अनमोल नेमत : बेटी



ओ निर्दयी बेरहम इंसान …..
आ देख मुझे भी एक पल
बेटी न होने की टीस होती है कैसी ……
और कैसे वो मुझे चसकती है …



तुने वो कुदरत की सबसे अनमोल नेमत पा कर
पा कर भी ठुकरा दी है …….
मुझे तो उस खुदा ने नहीं बख्शी वो
वो अपनी सुन्दरतम कृती ……..
नही गुलज़ार किया उसने मेरे आँगन को …..
उस कोमलतम कली से …..



मुझे चाहिए वो मधुरतम खिलखिलाहट ……..
हाँ मुझे भी चाहिये ………..
बेटी का भोलापन और …………
और उसका अपने स्वीट पापू से लिपटना ….
मम्मी की डांट से बच कर …..
पापा की गोद में दुबकना ….
गल्लू पर मीठी सी पुच्ची दे कर दौड़ जाना …….



बेटी का इठलाना और ठुमकना …………
उसका शोरूम में टंगी हुई फ्रॉक के लिए मचलना ….
चमकते हुए गोटे वाला लहंगा पहन कर ….
शादी में फुदकना और डांस करना ………

उसका सारे घर में वो मटकना और चहकना …….
और फिर प्यार से बुलाना "मेले पापा" "पाले पापा"


मुझे तो यह सब कुछ नहीं मिला रे ओ इंसान
काश की तू मेरी हसी उड़ा कर ही कुछ सीख ले
बेटी, जो तेरी अमूल्य निधि है उसको सहेज ले

सोमवार, 18 जुलाई 2011

आया सावन खुशियाँ लेकर


आया सावन खुशियाँ लेकर
खुश हुई कुदरत बूँदें प् कर
फ़ैल गयी चारों ओर हरियाली
खिल गए फूल डाली डाली
                                                                  पायल चनका रही पावस रानी
चालक गया नदियों से पानी
चहचहा रहे हैं पंची दूर गगन में
नाच रहा है मो़र अपने पंख ताने
                                                           बुझ गयी पृथ्वी की तृष्णा
सानंद हुआ कृषक अपना
सोंधी सोंधी उठी सुगंधी
बह रही है पवन ठंडी ठंडी
                                                                         दौड़ उठी कागज़ की कश्ती
बहने मेंहदी रचा आनंद झूलों का लेती
आ गया पर्वों का मौसम
                                                          राखी तीज जन्माष्टमी और ओणम
बरखा ने शीतल किया मन्
प्रसन्न हुआ जन जन!



गुरुवार, 14 जुलाई 2011

श्रृंखलाबद्ध आतंकी धमाकों से फिर दहली मुंबई

मुंबई में बुधवार शाम भीड़भाड़ वाले इलाकों में 10 मिनट के अंतर पर सिलसिलेवार तीन विस्फोटों में कम से कम 21 लोगों की मौत हो गयी और करीब 141 लोग घायल हो गये. इस घटना ने 2008 के 26/11 आतंकी हमले की याद ताजा कर दी है.
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि 14 मिनट के अंतराल में लगातार हुए इन तीन धमाकों में 21 लोगों की मौत हो गई. व्यस्त समय में किये गए इन विस्फोट का मकसद अधिक जानी नुकसान को अंजाम देना था.
केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कम अंतराल में हुए ये तीन विस्फोट दर्शाते हैं कि यह आतंकवादियों का समन्वित हमला था.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सभी विस्फोट आईईडी उपकरणों के माध्यम से किये गए थे. उन्होंने कहा कि इस घटना में 113 लोग घायल हो गए हैं.
शहर के भीड़भाड़ वाले जावेरी बाजार, दादर तथा चरनी रोड के ओपरा हाउस में हुए विस्फोटों से 26/11 के आतंकवादी हमले की याद ताजा हो गयी है जिसमें 166 लोगों की मौत हो गयी थी.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि तीनों जगह हुए विस्फोटों में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गयी और 81 लोग जख्मी हो गये. चव्हाण ने कहा कि ओपरा हाउस में हुआ विस्फोट बहुत शक्तिशाली था. विस्फोट शाम पौने सात से सात बजे के बीच हुए.
दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि मृतक संख्या बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि यह आतंकवादियों की ओर से किया गया समन्वित हमला था.
इन विस्फोट में इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव उपकरणों (आईईडी) का इस्तेमाल किया गया. मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के एक मात्र जीवित हमलावर अजमल कसाब का जन्मदिन भी आज है.
कसाब को हमलों के मामले में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. अभी तक किसी संगठन ने हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन मुंबई पुलिस को इसमें इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के हाथ होने का संदेह है. चव्हाण ने इस बारे में किसी का नाम नहीं लिया.
मुंबई पुलिस आयुक्त अरुप पटनायक ने कहा कि ओपरा हाउस तथा जावेरी बाजार में हुए विस्फोट दादर में हुए धमाके से अधिक शक्तिशाली थे.
महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री छगन भुजल के अनुसार यह स्पष्ट है कि 26/11 के बाद हुए सबसे बड़े विस्फोट में हमलावर ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाना चाहते थे.
वर्ष 2006 में 11 जुलाई को मुंबई में लोकल ट्रेनों में सात विस्फोट हुए जिनमें 187 यात्रियों की मौत हो गयी और 800 लोग घायल हो गये.
केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह ने कहा कि एक विस्फोट मारुति एस्टीम कार में हुआ और एक दूसरा मोटरसाइकिल में हुआ.AP Photo/Aijaz Rahi
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता निसार तांबोली ने कहा कि पहला विस्फोट दक्षिण मुंबई के जावेरी बाजार की शकील मेमन गली में हुआ जो प्रसिद्ध मुंबादेवी मंदिर के पास है. इसमें कम से कम 25 लोग घायल हो गये. इस बाजार में आभूषणों की कई दुकानें हैं.
करीब 25 लोग ओपरा हाउस के पास डायमंड मार्केट के नजदीक हुए विस्फोट में जख्मी हो गये. यह इलाका भी दक्षिण मुंबई में है. मध्य मुंबई के दादर वेस्ट में कबूतरखाना इलाके में हुए विस्फोट में तीन लोग घायल हो गये. चव्हाण ने कहा कि घायलों को सेंट जार्ज, नायर तथा केईएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. शहर भर में विस्फोटों के बाद हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है.REUTERS/Vivek Prakash
मुंबई में भारी बारिश के चलते इस बात की आशंका है कि फोरेसिंक विशेषज्ञों द्वारा एकत्रित करने से पहले ही महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो सकते हैं. महाराष्ट्र और सेंट्रल फोरेंसिक लैबोरेटरी दिल्ली के फोरेंसिक विशेषज्ञ यहां पहुंचे और विस्फोटों के अहम सुराग खोज रहे हैं.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होगा लेकिन कुछ साक्ष्य समाप्त हो सकते हैं. दादर में मोहनभाई स्टाल के बाहर खाउ गली पर हुए विस्फोट में कई क्षत विक्षत शव पड़े थे और चारों ओर खून फैला हुआ था.AP
लकड़ी का काम करने वाले विजय ने कहा कि पूरी गली में खून फैला हुआ था. चार-पांच शव इधर उधर बिखरे पड़े थे. घटनास्थल पर भयभीत लोग इधर उधर भाग रहे थे. दादर में सात घायल लोगों को केईएम अस्पताल में भर्ती कराया गया जबकि कई अन्य लोगों का सैफी और जे जे अस्पताल में उपचार चल रहा है !

आखिर कब तक हमारे देश मैं ऐसे हमले होते रहेंगे ??? और बेकसूर लोगो की जाने ऐसे ही जाती रहेगी