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शनिवार, 28 मई 2011

ऐसा एक दोस्त चाहिए |


ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,

ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,
मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,


कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,

उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,


मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,

उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,
अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,

यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए |

शुक्रवार, 27 मई 2011

मोबाइल बना है हर लड़की की शान

मोबाइल बना है हर लड़की की शान , मिस काल करके लडको को करती है परेशान.

एस एम एस मैं लिखती है मिस यू मेरी जान ,

तुम्हारी आवाज सुनने को तरसे है मेरे कान .
चार - पाच  बोय्फ्रेंड बना कर कहेती है , एक तुम ही हो  मेरी जान.

अपना राज सहेलियों को बताकर करती है हैरान .

कहेती है लडको को बनाना है आसान .
होश मैं आ मेरे दोस्त तू  इनको पहेचान, लडकिया होती है शैतान .

लडको द्वारा जनहित मैं जारी -लड़की है अत्याचारी  

सोमवार, 23 मई 2011

दिन हुआ है तो रात भी होगी

दिन हुआ है तो रात भी होगी,

हो मत उदास कभी तो बात भी होगी,

इतने प्यार से दोस्ती की है

खुदा की कसम जिंदगी रही तो मुलाकात भी होगी.

कोशिश कीजिए हमें याद करने की

लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे

तमन्ना कीजिए हमें मिलने की

बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंगे .

महक दोस्ती की इश्क से कम नहीं होती

इश्क से ज़िन्दगी ख़तम नहीं होती

अगर साथ हो ज़िन्दगी में अच्छे दोस्त का

तो ज़िन्दगी जन्नत से कम नहीं होती

सितारों के बीच से चुराया है आपको

दिल से अपना दोस्त बनाया है आपको

इस दिल का ख्याल रखना

क्योंकि इस दिल के कोने में बसाया है आपको

अपनी ज़िन्दगी में मुझे शरिख समझना

कोई गम आये तो करीब समझना

दे देंगे मुस्कराहट आंसुओं के बदले

मगर हजारों दोस्तो में अज़ीज़ समझना

.. हर दुआ काबुल नहीं होती ,

हर आरजू पूरी नहीं होती ,

जिन्हें आप जैसे दोस्त का साथ मिले ,

उनके लिए धड़कने भी जरुरी नहीं होती

दिन हुआ है तो रात भी होगी...............,

शनिवार, 14 मई 2011

सच्चा प्यार

एक बार एक लड़का था ! जो एक लड़की को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था
उसके परिवार वालो ने भी उसका कभी साथ नहीं दिया ,फिर भी वो उस लड़की को

प्यार करता रहा लेकिन लड़की कुछ देख नहीं सकती थी मतलब अंधी थी ! लड़की
हमेशा लड़के से कहती रहती थी की तुम मुझे इतना प्यार क्यूँ करते हो !में
तुम्हारे किसी काम नहीं आ सकती में तुम्हे वो प्यार नहीं दे सकती जो कोई
और देगा लेकिन वो लड़का उसे हमेशा दिलाषा देता रहता की तुम ठीक हो जोगी
तुम्ही मेरा पहला प्यार हो और रहोगी फिर कुछ साल ये सिलसिला चलता रहता है
लड़का अपने पैसे से लड़की का ऑपरेशन करवाता है लड़की ऑपरेशन के बाद अब सब
कुछ देख सब सकती थी लेकिन उससे पता चलता है की लड़का भी अँधा था तब लड़की
कहती है की में तुमसे प्यार नहीं कर सकती तुम तोह अंधे हो.में किसी अंधे
आदमी को अपना जीवन साथी चुन सकती तुम्हारे साथ मेरा कोई future नहीं है
..तब लड़का जाने लगता है और उसके आखिरी बोल होते है
 

#@  TAKE CARE OF MY EYES
for you  #@ 

सोमवार, 9 मई 2011

माँ


 आज फिर
हरसिंगार
झरते हैं
माँ के आशीष रूप धरते हैं
पुलक पुलक
उठता है तन
शाश्वत यह
कैसा बंधन!
नमन में झुकता है मन-
नमन में
मन!
थिरकते हैं
सांझ की गहराइयों
में
तुम्हारी पायलों के स्वर
नज़र आता है चेहरा
सुकोमल अप्सरा-सा
उठा
कर बाँह
उँगलियों से दिखाती राह
सितारों से भरा आँगन
नमन में
मन!
लहरता है
सुहानी-सी उषा में
तुम्हारा रेशमी आँचल
हवा के संग
बुन
रहा वात्सल्य का कंबल
सुबह की घाटियों में
प्यार का संबल
सुरीली बीन सा
मौसम
नमन में मन!
बसी हो माँ!
समय के हर सफर
में
सुबह-सी शाम-सी
दिन में - बिखरती रौशनी-सी
दिशाओं में-
मधुर
मकरंद-सी
दूर हो फिर भी
महक उठता है जीवन
नमन में मन!
माँ प्रतिदिन -
प्रतिक्षण  नमनीय और श्रधेय है
आज प्रत्येक माँ को मेरा विशेष
नमन

मंगलवार, 3 मई 2011

हा हा, ही ही

क्या आपको याद है कि आप आखिरी बार दिल खोलकर कब हंसे थे? ऐसी जोरदार हंसी कि हंसते-हंसते लोटपोट हो गए, कि मुंह थक गया, कि आंखों से आंसू बह निकले, कि पेट में बल पड़ गए... याद नहीं आया न! आजकल के तनाव के इस दौर में हंसी वाकई महंगी हो गई है। लोगों के पास सब चीजों के लिए वक्त है, हंसने-हंसाने के लिए नहीं, जबकि हंसी के फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है। 

हंसी से बड़ी कोई दवा नहीं. . . इस बात को हम हमेशा से सुनते आए हैं, लेकिन मानते शायद कम ही हैं क्योंकि बिना किसी खर्च के इलाज की बात आसानी से हजम नहीं होती। वैसे भी, जिंदगी की आपाधापी और तनाव ने लोगों को हंसना भुला दिया है। रिसर्च बताती हैं कि पहले लोग रोजाना करीब 18 मिनट रोजाना हंसते थे, अब 6 मिनट ही हंसते हैं जबकि हंसना बेहद फायदेमंद है। दिल खोलकर हंसनेवाले लोग बीमारी से दूर रहते हैं और जो बीमार हैं, वे जल्दी ठीक होते हैं। हंसी न सिर्फ हंसनेवाले, बल्कि उसके आसपास के लोगों पर भी पॉजिटिव असर डालती है इसलिए रोजाना हंसें, खूब हंसें, जोरदार हंसें, दिल खोलकर हंसें।

हंसी के फायदे तमाम 

हंसी से टेंशन और डिप्रेशन कम होता है।

यह नेचरल पेनकिलर का काम करती है।

हंसी शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ाती है।

हंसी ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करती है।

जोरदार हंसी कसरत का भी काम करती है।

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करती है।

इससे काम करने की क्षमता बढ़ती है।

यह आत्मविश्वास और पॉजिटिव नजरिए में इजाफा करती है।

इसे नेचरल कॉस्मेटिक भी कह सकते हैं क्योंकि इससे चेहरा खूबसूरत बनता है।

खुशमिजाज लोगों के सोशल और बिजनेस कॉन्टैक्ट भी ज्यादा होते हैं।

कैसे काम करती है हंसी 

हमारे शरीर में कुछ स्ट्रेस हॉर्मोन होते हैं, जैसे कि कॉर्टिसोल, एड्रेनलिन आदि। जब कभी हम तनाव में होते हैं तो ये हॉर्मोन शरीर में सक्रिय हो जाते हैं। इनका लेवल बढ़ने पर घबराहट होती है। ज्यादा घबराहट होने पर सिर दर्द, सर्वाइकल, माइग्रेन, कब्ज हो सकती है और शुगर लेवल बढ़ सकता है। हंसने से कॉर्टिसोल व एड्रेनलिन कम होते हैं और एंडॉर्फिन, फिरॉटिनिन जैसे फील गुड हॉमोर्न बढ़ जाते हैं। इससे मन उल्लास और उमंग से भर जाता है। इससे दर्द और एंग्जाइटी कम होती है। इम्युन सिस्टम मजबूत होता है और बुढ़ापे की प्रक्रिया धीमी होती है।

जितनी देर हम जोर-जोर से हंसते हैं, उतनी देर हम एक तरह से लगातार प्राणायाम करते हैं क्योंकि हंसते हुए हमारा पेट अंदर की तरफ चला जाता है। साथ ही हम लगातार सांस छोड़ते रहते हैं, यानी शरीर से कार्बनडाइऑक्साइड बाहर निकलती रहती है। इससे पेट में ऑक्सिजन के लिए ज्यादा जगह बनती है। दिमाग को ढंग से काम करने के लिए 20 फीसदी ज्यादा ऑक्सिजन की जरूरत होती है। खांसी, नजला, जुकाम, स्किन प्रॉब्लम जैसी एलर्जी ऑक्सिजन की कमी से बढ़ जाती हैं। हंसी इन बीमारियों को कंट्रोल करने में मदद करती है। साथ ही, शुगर, बीपी, माइग्रेन, जैसी बीमारियां (जिनके पीछे स्ट्रेस बड़ी वजह होती है) होने की आशंका भी कम होती है क्योंकि करीब 60-70 फीसदी बीमारियों की वजह तनाव ही होता है। हंसी पैनिक को कंट्रोल करती है, जिसकी बदौलत रिकवरी तेज होती है।

जब हम जोर-जोर से हंसते हैं तो झटके से सांस छोड़ते हैं। इससे फेफड़ों में फंसी हवा बाहर निकल आती है और फेफड़े ज्यादा साफ हो जाते हैं।

हंसने से शरीर के अंदरूनी हिस्सों को मसाज मिलती है। इसे इंटरनल जॉगिंग भी कहा जाता है। हंसी कार्डियो एक्सरसाइज है। हंसने पर चेहरे, हाथ, पैर, और पेट की मसल्स व गले, रेस्पिरेटरी सिस्टम की हल्की-फुल्की कसरत हो जाती है। 10 मिनट की जोरदार हंसी इतनी ही देर के हल्की कसरत के बराबर असर करती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और मसल्स रिलैक्स होती हैं।

जब हम हंसते हैं तो कोई भी तकलीफ या बीमारी कम महसूस होती है क्योंकि जिस तरह के विचार मन में आते हैं, हमारा शरीर वैसे ही रिएक्ट करता है। हंसने से हम लगभग शून्य की स्थिति में आ जाते हैं यानी सब भूल जाते हैं।

जिंदगी में दिन और रात की तरह सुख और दुख लगे रहते हैं। इनसे बचा नहीं जा सकता लेकिन अगर हम लगातार बुरा और नेगेटिव सोचते हैं तो दिमाग सही फैसला नहीं कर पाता और परेशानियां बढ़ जाएंगी। हंसने पर दिमाग पूरा काम करता है और हम सही फैसला ले पाते हैं।

क्या कहती हैं रिसर्च 

अमेरिका के फिजियॉलजिस्ट और लाफ्टर रिसर्चर विलियम फ्राइ के मुताबिक जोरदार हंसी दूसरे इमोशंस के मुकाबले ज्यादा फिजिकल एक्सरसाइज साबित होती है। इससे मसल्स एक्टिवेट होते हैं, हार्ट बीट बढ़ती है और ज्यादा ऑक्सिजन मिलने से रेस्पिरेटरी सिस्टम बेहतर बनता है। ये फायदे जॉगिंग आदि से मिलते-जुलते हैं। जरनल ऑफ अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन के मुताबिक, लाफ्टर थेरपी से लंबी बीमारी के मरीजों को काफी फायदा होता है इसलिए अमेरिका, यूरोप और खुद हमारे देश में भी कई अस्पतालों से लेकर जेलों तक में लाफ्टर थेरपी या हास्य योग कराया जाता है।

हास्य योग 

लोगों को हंसना सिखाने में हास्य योग काफी पॉप्युलर हो रहा है। हास्य और योग को मिलाकर बना है हास्य योग, जिसमें प्राणायाम (लंबी-लंबी सांसें लेते) के साथ हंसी के अलग-अलग कसरत करना सिखाया जाता है। हास्य योग के तहत जोर-जोर से ठहाके मारकर, बिना किसी वजह के बेबाक हंसने की प्रैक्टिस की जाती है। इसमें शरीर के आंतरिक हास्य को बाहर निकालना सिखाया जाता है, जिससे शरीर सेहतमंद होता है। शुरुआत में नकली हंसी के साथ शुरू होनेवाली यह क्रिया धीरे-धीरे हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है और हम बिना किसी कोशिश के हंसने लगते हैं। हास्य योग इस वैज्ञानिक आधार पर काम करता है कि शरीर नकली और असली हंसी के बीच फर्क नहीं कर पाता, इसलिए दोनों से ही एक जैसे फायदे होते हैं।

हास्य योग के छह चरण होते हैं। 

आचमन : इस दौरान अच्छे विचार करें। सोचें कि मुझे अच्छा बनना है। मैं अच्छा बन गया हूं। मुझे अच्छे काम करने हैं और खुश रहना है। ठान लें कि हमें पॉजिटिव सोचना है, पॉजिटिव देखना है और पॉजिटिव ही बोलना है।

आचरण : इसमें जो चीज हमने आचमन में की है, उसे अपने आचरण में लाना होता है। मतलब, वे चीजें हमारे बर्ताव में आएं और दूसरे लोगों को नजर आएं।

हास्यासन : इसमें वे क्रियाएं आती हैं, जो हम पार्क में करते हैं। इन क्रियाओं को लगातार करने से हंसमुख रहना हमारी आदत बन जाती है।

संवर्द्धन : योग करने का लाभ करनेवाले को मिलता है, लेकिन हास्य योग का फायदा उसे भी मिलता है, जो इसे देखता है। अगर कोई हंस रहा है तो वहां से गुजरने वाले को भी बरबस हंसी या मुस्कान आ जाती है।

ध्यान : हास्य योग की क्रियाओं को करने से शरीर के अंदर जो ऊर्जा आई है, ध्यान के जरिए उसे कंट्रोल किया जाता है।

मौन : मौन के चरण में हंसी को हम अंदर-ही-अंदर महसूस करते हैं।

हास्यासन में नीचे लिखी क्रियाओं को किया जाता है : 

हास्य कपालभाति : जब लोग कपालभाति करते हैं तो उनके मन में तनाव होता है कि अगर हमने ऐसा नहीं किया तो हमारी बीमारी ठीक नहीं होगी। दुखी या तनावग्रस्त मन से किया गया कपालभाति उतना फायदेमंद नहीं होता। हास्य कपालभाति करने के लिए वज्रासन में बैठ जाएं। सीधा हाथ पेट पर रखें और हल्के से हां बोलें। ऐसा करने से सांस नाक और मुंह दोनों जगहों से बाहर आएगी और पेट अंदर जाएगा। आम कपालभाति में सांस सिर्फ नाक से बाहर जाती है, वहीं हास्य कपालभाति में सांस नाक और मुंह, दोनों जगहों से बाहर जाती है।

मौन हास्य : किसी भी आसन में बैठ जाएं। लंबा गहरा सांस लें। रोकें और फिर हंसते हुए छोड़ें। ध्यान रखें, बिना आवाज किए हंसना है। इसी क्रिया को बार-बार दोहराएं।

बाल मचलन : जैसे बच्चा मचलता है, कमर के बल रोलिंग करता है, उसी तरह इसमें हंसने की कोशिश की जाती है। पूरे मन को उमंग मिलती है।

ताली हास्य : बाएं हाथ की हथेली खोलें। सीधे हाथ की एक उंगली से पांच बार ताली बजाएं। फिर दो उंगली से पांच बार ताली बजाएं। इसी तरह तीन, चार और फिर पांचों उंगलियों से पांच-पांच बार ताली बजाते हुए जोरदार तरीके से हंसें। ताली बजाने से हाथ के एक्युप्रेशर पॉइंट्स पर प्रेशर पड़ता है और वे एक्टिवेट हो जाते हैं।

बेहद आसान है हास्य योग 

अगर ऊपर बताए गए स्टेप्स मुश्किल लगते हैं तो सीधे-सीधे हास्य के व्यायाम कर सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं नमस्ते हास्य (एक-दूसरे की आंखों में आंखें डालकर हंसते जाएं), तू-तू, मैं-मैं हास्य (एक-दूसरे की ओर उंगली से लड़ने का भाव बनाते हुए हंसते जाएं), प्रशंसा हास्य (अंगूठे और उंगली को मिलाकर एक-दूसरे की तारीफ का भाव रखते हुए हंसते जाएं), मोबाइल फोन हास्य (मोबाइल की तरह कान पर हाथ लगाकर हंसते जाएं), लस्सी हास्य (हे... की आवाज निकालते हुए ऐसे करें मानो लस्सी के दो गिलास मिलाए और पी लिए। इसके बाद हंसते जाएं) आदि। बीच-बीच में लंबी सांसें लेते जाएं। इन तमाम अभ्यासों को करना काफी आसान है। यही वजह है कि हास्य योग इतना पॉप्युलर हुआ है।

कैसे सीखें : जो लोग हास्य योग सीखना चाहते हैं, वे जगह-जगह पार्कों में लगनेवाले शिविरों से सीख सकते हैं। ये शिविर फ्री होते हैं। इसके बाद रोजाना घर पर प्रैक्टिस की जा सकती है। एक सेशन में करीब 15 से 40 मिनट का वक्त लगता है।

रखें ध्यान 

पार्क में खाली ठहाके लगाने से कुछ नहीं होता। वहां तो ठहाके लगा लिए और बाहर आए तो फिर से टेंशन ले ली तो सब किया बेकार हो जाता है। जरूरी है कि हम हंसी को अपनी जिंदगी और अपनी पर्सनैलिटी का हिस्सा बनाएं। शुरुआत में यह मुश्किल लगता है लेकिन अभ्यास से ऐसा किया जा सकता है। जिस चीज का बार-बार अभ्यास किया जाता है, वह धीरे-धीरे नेचरल बन जाती हूं। शुरुआत में नकली लगनेवाली जोरदार ठहाके वाली हंसी धीरे-धीरे हमारी आदत में शुमार हो जाती है।

खुद भी सीख सकते हैं हंसना 

जो लोग पार्क आदि में जाकर दूसरों के साथ हंसना नहीं सीख सकते, वे अकेले में घर के अंदर भी हंसी की प्रैक्टिस कर सकते हैं। वे रोजाना 15 मिनट के लिए शीशे के सामने खड़े हो जाएं और बिना वजह जोर-जोर से हंसें। हंसी का असली फायदा तभी है, जब आप कुछ देर तक लगातार हंसें। इसके अलावा, बच्चों और दोस्तों के साथ वक्त गुजारना भी हंसने का अच्छा बहाना हो सकता है। कई बार डॉक्टर भी अपने मरीजों को लाफ्टर थेरपी की सलाह देते हैं। इसमें सबसे पहले खुद के चेहरे पर मुस्कान लाने को कहा जाता है। कार्टून शो, कॉमिडी शो या जोक्स आदि भी देख-सुन सकते हैं। हालांकि यह हंसी कंडिशनल होती है और सिर्फ एंटरटेनमेंट और रिलैक्सेशन के लिए होती है। इसका सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। असली फायदा लंबी और बिना शर्त की हंसी से ही होता है। लोगों और खुद से परफेक्शन की उम्मीद न रखें, वरना हंसी के लिए जगह नहीं बन पाएगी। खुद को अपने करीबी लोगों की शरारतों और छेड़खानियों के लिए तैयार रखें।

कौन बरतें सावधानी 

हार्निया, पाइल्स, छाती में दर्द, आंखों की बीमारियों और हाल में बड़ी सर्जरी कराने वाले लोगों को हास्य योग या हास्य थेरपी नहीं करनी चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओं को भी इसकी सलाह नहीं दी जाती। टीबी और ब्रोंकाइटिस के मरीजों को भी ख्याल रखना चाहिए कि उनकी हंसी से दूसरों में इन्फेक्शन न फैले।

अच्छी हंसी और खराब हंसी 

अच्छी हंसी वह है, जो दूसरों के साथ हंसी जाए और खराब हंसी वह है, जो दूसरों पर हंसी जाए यानी उनका मजाक उड़ाकर हंसें। जब हम बेबाक, बिंदास, बिना तर्क, बिना शर्त और बिना वजह बच्चों की तरह हंसते हैं तो वह बेहद असरदार होती है। पांच साल से छोटे बच्चे दिन में 300-400 बार हंसते हैं और बड़े लोग बमुश्किल 10-15 बार ही हंसते हैं, इसलिए बच्चों की तरह बिना शर्त हंसें। रावण की तरह हंसना यानी दुनिया को दिखाने के लिए हंसना सही नहीं है। हंसना खुद के लिए चाहिए। इसी तरह अकेले हंसने का कोई मतलब नहीं है। हमारे आसपास के लोगों का हंसना भी जरूरी है। आजकल ज्यादातर लोग नकली हंसी हंसते हैं, जिसके पीछे अक्सर कोई स्वार्थ होता है, मसलन ऑफिस में बॉस को खुश करने वाली हंसी। ऐसी हंसी का शरीर को कोई फायदा नहीं है। इसी तरह जब हम दूसरों का मजाक उड़ाते हुए हंसते हैं तो हंसी के जरिए अपनी फ्रस्टेशन निकालते हैं। यह सही नहीं है। ज्यादातर कॉमिडी शो और चुटकुलों के जरिए ऐसी ही हंसी को बढ़ावा मिलता है। शुरुआत में निश्छल हंसी हंसना मुश्किल है। ऐसा दो ही स्थिति में मुमकिन है। पहला : हमारी सोच बेहद पॉजिटिव हो और हम बेहद खुशमिजाज हों। दूसरा : हास्य योग के जरिए हम अच्छी हंसी सीख लें।

खुशी के लिए हंसी जरूरी 

अक्सर लोग कहते हैं कि जिंदगी में इतने तनाव हैं, तो खुश कैसे रहें और खुश नहीं हैं तो हंसें कैसे? लेकिन सही तरीका यह नहीं है कि हम खुश हैं, इसलिए हंसें, बल्कि हमें इस फॉर्म्युले पर काम करना चाहिए कि हम हंसते हैं, इसलिए खुश रहते हैं क्योंकि हंसने से बहुत-सी तकलीफें अपने आप खत्म हो जाती हैं। कह सकते हैं कि हंसी के लिए खुशी जरूरी नहीं है लेकिन खुशी के लिए हंसी जरूरी है। कई लोग बड़े खुशमिजाज होते हैं लेकिन साथ ही बड़े संवेदनशील भी होते हैं और अक्सर छोटी-छोटी बातों तो लेकर टेंशन ले लेते हैं। ऐसे लोग या तो दोहरी शख्सियत वाले होते हैं, मसलन होते कुछ हैं और दिखते कुछ और। वे सिर्फ खुशमिजाज दिखते हैं, होते नहीं हैं। या फिर ऐसे लोगों का रिएक्शन काफी तेज होता है। वे अक्सर बिना सोचे-समझे अच्छी और बुरी, दोनों स्थिति पर रिएक्ट कर देते हैं। दूसरी कैटिगरी के लोगों को हास्य योग से काफी फायदा होता है। उन्हें माइंड को कंट्रोल करना सिखाया जाता है।

रोते गए मरे की खबर लाए यानी दुखी मन से करेंगे तो काम खराब ही होगा।

घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलों यूं कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए - निदा फाजली

हंसी छूत की बीमारी है। एक को देख, दूसरे को आसानी से लग जाती है। 

सोमवार, 2 मई 2011

हिंदी में टाइप करना मुश्किल? कतई नहीं


हिंदी में टाइप करना मुश्किलकतई नहीं



 

क्या आपको पता है कि कम्प्यूटर में काम करने के लिए 12 भारतीय भाषाओं हेतु 126 प्रकार के कुंजी पटल विन्यास उपलब्ध हैं? अकेले हिंदी में
ही दर्जनों कुंजीपटल विन्यास -सुषा से लेकर इनस्क्रिप्ट तक हैं. कम्प्यूटरों के
लिए हिंदी का आज भी कोई मानक कुंजी पटल नहीं है. अब तक तो अंग्रेजी फ़ॉन्ट को हिंदी रूप देकर और उसके आधार पर अपना नया कुंजीपटल विन्यास बनाकर लोगों ने छोटा रास्ता निकाला था जिससे भला होने के बजाए नुकसान ही ज्यादा हुआ. फिर किसी ने अपना माल मुफ़्त उपयोग के लिए भी जारी नहीं किया (इसमें सरकारी एजेंसियाँ भी शामिल हैं, जो जनता के टैक्स का भारी भरकम पैसा भकोस लेती हैं 
 पर यहाँ बेचारे डेवलपरों को न कोसें, बल्कि योजना बनाने वाले सरकारी बाबुओं को कोसें), भले ही लोग पायरेसी के लिए भी उस उत्पाद (उदा. लीप ऑफ़िस) को न पूछें. वो तो भला हो भारतभाषा जैसी भली
जगह से आए शुषा सीरीज के 
मुफ़्त फ़ॉन्ट का जिसके दम खम पर
आज हिन्दी की कई साइटें बख़ूबी चल रही हैं. 




परंतु यूनिकोड के प्रचलन में आने से हम में से प्रत्येक को अंततः यूनिकोड फ़ॉन्ट का रास्ता पकड़ना ही होगा. इंटरनेट पर हिन्दी में सर्च सिर्फ यूनिकोड पर ही संभव है और गूगल इसे साल भर से ज्यादा समय से समर्थित कर रहा है. यूनिकोड आधारित रेडहेट लिनक्स के हिंदी संस्करण आ चुके हैं और अगले साल के प्रारंभ में विंडोज़ हिंदी का सस्ता स्टार्टर संस्करण आने से परिदृश्य में तेजी से परिवर्तन आएगा. अतः अभी तक जो भी हिन्दी का उपयोग यूनिकोड से इतर करते
आ रहे हैं, उनके लिए सुझाव है कि शुभष्य शीघ्रम्.




यूनिकोड हिन्दी समर्थन विंडोज़ 2000 या एक्सपी तथा लिनक्स के नवीनतम संस्करणों में ही उपलब्ध है अतः यह इसके प्रचलन में बड़ी बाधा
है. अभी भी बहुत से कंप्यूटर उपयोक्ता विंडोज 9
x का उपयोग करते हैं. परंतु यदि उन्हें जालघर के हिंदी संसाधनों में शामिल होना है तो उन्हें भी शीघ्र ही अपने विंडोज़ अद्यतन कराने होंगे. अगर विंडोज़ अद्यतन करना वित्तीय रूप से संभव नहीं है, तो मुफ़्त मे उपलब्ध लिनक्स आपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करना उचित होगा. रेडहेट का फेदोरा कोर 3आउट ऑफ द बॉक्स हिंदी समर्थन देता है, यहाँ तक कि पुराने 500 मे. हर्त्ज और 128 एम.बी रैम तक के कम्प्यूटरों पर इसे आसानी से चलाया जा सकता है. इसकी संस्थापना भीपूरी तरह हिंदी वातावरण में रहकर की जा सकती है.




फ़ॉन्ट आधारित हिंदी मसलन कृतिदेव या शुषा से यूनिकोड हिंदी में बदलना अब तक आसान नहीं था. परंतु अब आपके पुराने कार्यों को यूनिकोड में परिवर्तन के लिएरूपांतर नामक एक प्रोग्राम तो है ही, कुछ अन्य पीएचपी स्क्रिप्ट तथा सी प्रोग्रामइंडिकट्रांस.ऑर्ग में भी उपलब्ध हैं. ये प्रोग्राम मुफ़्त हैं तथा अच्छे खासे परिणाम देते हैं. मैंने रूपांतर को अपने पुराने इस्की हिंदी फ़ाइलों को यूनिकोड में रूपांतरण के लिए अच्छा खासा काम मेंलिया है.




रहा सवाल हिंदी कुंजीपटल विन्यास का, तो धन्यवाद एक बार फिर माइक्रोसॉफ्ट का. माइक्रोसॉफ़्ट के आईएमई1 संस्करण 5 (भारतीय भाषाओं के लिए मुफ़्त डाउनलोड हेतु उपलब्ध) में आपको सात तरह के हिंदी कुंजीपटल विन्यास मिलते हैं. ये हैं ट्रांसलिट्रेशन, रेमिंगटन, गोदरेज, हिंदी टाइपराइटर आरबीआई, इनस्क्रिप्ट, वेब दुनिया तथा एंग्लो-नागरी. हो सकता है इनमें से कोई न कोई तो आप उपयोग कर ही रहे होंगे. 1 एम.बी. आकार के इस डाउनलोड को अपने विंडोज़ 2000 या एक्सपी तंत्र पर स्थापित करें और नियंत्रण पटल केकुंजीपटल विन्यास में से हिंदी कुंजीपटल Hindi Indic IME 1 [V 5.0]चुनें और इन सात में से कोई भी उपयोग हेतु चुनें. यदि आपका मौजूदा इस्तेमाल में आ रहा कुंजी पटल विन्यास यहाँ पर नहीं है (जैसे कि शुषा) तो फिर माइक्रोसॉफ़्ट का हीकुंजीपटल विन्यास संपादक (कीबोर्ड एडीटर ) का उपयोग कर अपने लिए विशेष यूनिकोड हिंदी कुंजीपटल की रचना कर सकते हैं या वर्तमान कुंजीपटल में कुछ रद्दोबदल कर सकते हैं. और यह बिलकुल आसान है. बस आपके तंत्र पर .नेट फ्रेम वर्क संस्थापित होना चाहिए. यदि आप हिंदी में शुरूआत ही कर रहे हैं तो आपके लिए
ट्रांसलिट्रेशन या एंग्लो नागरी कुंजी पटल बहुत ही सरल होगा चूंकि यह फ़ोनेटिक
आधारित है, और आप हिंदी को रोमन में टाइप कर हिंदी यूनिकोड का उपयोग कर सकेंगे (जैसे कि रवि लिखने के लिए 
ravi या riv). ट्रांसलिट्रेशन में तो ऑनलाइन हेल्प भी है, और इसके वर्ड लिस्ट की सहायता से लंबे और प्रायः बार बार उपयोग में आने वाले हिंदी शब्दों के अंग्रेजी संक्षिप्ताक्षर देकर अपना काम और भी आसान बना सकते हैं. लिनक्स में इनस्क्रिप्ट कुंजीपटल डिफ़ॉल्ट रूप में संस्थापित होता है, परंतु इसके कुंजीपटल एक्सएमएल फ़ाइल में मामूली रद्दोबदल कर अपने पसंदीदा, अभ्यस्त हो चुके हिंदी कुंजीपटलकी रचना की जा सकती है.




तो फिर देर किस बात की? अपने कम्प्यूटर को यूनिकोड हिंदीमय कर लीजिए आज, अभी ही.
देखें हिन्दी कुंजीपटल स्क्रीनशॉट 1 
देखें हिन्दी कुंजीपटल स्क्रीनशॉट 2