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शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

सोने के मेडल से शर्मिंदगी!

बिहार के मुजफ्फरपुर में रहने वाली 28 वर्षीय अंकिता कुमारी को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो पा रहा है, उन्हें लगता है कि उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है।

अंकिता के लिए ये और भी दिल कचोटने वाली बात ये है कि पूरे प्रकरण में उनके पिता भी शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। बात ही कुछ ऐसी है। अंकिता ने पटना यूनिवर्सिटी से वनस्पति विज्ञान में एमएससी किया था और शीर्ष स्थान हासिल किया था।

दिसंबर 2005 में हुए दीक्षांत समारोह में उन्हें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों गोल्ड मेडल मिला था, जिसने अंकिता और उनके परिजनों की आंखों में चमक ला दी थी।

बीबीसी से बातचीत में अंकिता ने कहा, 'वो मेरे जीवन का सबसे यादगार लम्हा था। मैं अपने को सबसे ऊपर समझ रही थी।' लेकिन दो साल पहले जब उन्होंने अपने गोल्ड मेडल को देखा तो उनकी आंखें खुली रह गईं।

न उस मेडल में चमक रही और न उनकी आंखों में ही। अंकिता इस बात से हताश, परेशान और निराश हैं कि उनका गोल्ड मेडल न सिर्फ रंगहीन और फीका पड़ गया है बल्कि लोहे जैसा दिखता है।


शर्मिंदगी : अंकिता के पिता रामजी प्रसाद गुप्ता कहते हैं, 'जब हम किसी को ये कहकर मेडल दिखाते थे कि अंकिता गोल्ड मेडलिस्ट है, तो हमें बहुत शर्म आती थी।'

अंकिता को भी अपना मेडल दिखाने में शर्म महसूस होती है। अब तो स्वर्णकार ने भी इसकी पुष्टि कर दी है कि उनका मेडल सोने का था ही नहीं। अंकिता को पहले तो भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब सच सामने आया तो उन्होंने लड़ने की ठानी।

लेकिन इतनी आसानी से न कुछ होता है और न कुछ हुआ। अंकिता ने पहले को विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसरों से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

आखिरकार अंकिता ने सेवा यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक अपनी बात पहुंचाने की ठानी। नीतीश कुमार ने सरकारी अधिकारियों को मामले की जांच के आदेश दिए हैं।


जांच : नीतीश कुमार का भी ये कहना है कि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को छात्रों की भावनाओं से नहीं खेलना चाहिए। पटना यूनिवर्सिटी के कुलपति शंभूनाथ सिंह ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है, तो एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी।

बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, 'हमने इस मुद्दे को काफी गंभीरता से लिया है। आखिरकार ये मामला संस्था की प्रतिष्ठा और मर्यादा से जुड़ा हुआ है। ये कैसे हुआ, ये सामने आना चाहिए। ताकि भविष्य में ऐसा न हो।'

उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 से 2010 तक दिए गए सभी गोल्ड मेडल्स की जांच होगी। शंभूनाथ सिंह ने कहा कि इस दौरान 58 अन्य छात्रों को गोल्ड मेडल दिया गया था, लेकिन अंकिता के अलावा किसी ने शिकायत नहीं की है।

दूसरी ओर अंकिता का कहना है कि अगर उनको मिला मेडल गोल्ड मेडल है तो उसे गोल्ड ही रहना चाहिए।

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