इस नीले गृह पर जहां हम रहते हैं वहां से जीवों की कई प्रजातियां हमेशा के लिए विलुप्त हो रही हैं। ऐसा सदियों से होता आ रहा है। कई प्रजातियां इंसान के प्रादुर्भाव से पहले धरती को विदा कह गईं जबकि कई प्रजातियां हमारे सामने विलुप्त हो गईं।
इंसान के लालच और जरूरत के चलते जिस गति से इन दिनों जंगलों से जैव विविधता नष्ट की जा रही है उसे देखते हुए लगता है कि जल्दी ही हमारा अस्तित्व ही संकट में आ जाएगा।
यह बहस सदियों से जारी है कि इंसान के लिए शाकाहार जरूरी है कि मांसाहार। अक्सर यह प्रश्न उठाया जाता है कि क्या हम इतना अन्न उगाते हैं जिससे धरती पर बसने वाले हर इंसान का पेट भरा जा सके?
हो सकता है कि अनाज कम पड़े लेकिन क्या जिस गति से जंगल और समुद्र जीवों से रीते होते जा रहे हैं क्या उसका असर समूचे पर्यावरण पर नहीं पड़ रहा है? जाहिर है कि धरती पर जीवन को सुरक्षित रखना हमारी पहली प्राथमिकता है।
इस धरती पर कई ऐसे इलाके हैं जहां अनाज नहीं उगता। वहां मांसाहार पर निर्भर रहना एक विवशता है। जिन इलाकों में अनाज बहुतायत से उगाया जाता है वहां ऐसी कोई मजबूरी नहीं होती।
यह नितांत निजी प्रश्न है कि आपके लिए शाकाहार प्राथमिकता पर है या मांसाहार। आप जो चाहें चुन सकते हैं लेकिन धरती को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है।
1 टिप्पणी:
शाकाहार में पर्यावरण की सुरक्षा निहित है।
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